शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर ‘इद्दत में बैठना वाजिब है। ऐसी औरत की ‘इद्दत (जिस के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए और वो हा़मिला {प्रेगनेंट} न हो) चार महीने दस दिन है। …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى علي من بعيد أعلمته (أخرجه أبو الشيخ في الثواب له من طريق أبي معاوية عن الأعمش عن أبي صالح عنه ومن طريقه الديلمي وقال ابن القيم إنه غريب …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १९
तबूक के सफ़र में क़ौमें समूद की बस्ती पर गुज़र गज़्व-ए-तबूक मशहूर गज़्वह है और नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का आखिरी गज़्वह है। (गज़्वह=गज़्वह उस लड़ाई को कहते हैं, जिसमें हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम खुद शरीक हुए हों) हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को इत्तिला (ख़बर) मिली कि रूम का बादशाह …
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سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: أبو بكر قيل: ثم من (كان أحب إلى رسول الله من أصحابه)؟ قالت: عمر قيل: ثم من (كان أحب إلى رسول الله) ؟ قالت: ثم أبو عبيدة بن الجراح (سنن …
और पढ़ो »फज़ाइले-सदकात – ११
‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात छठी अलामत: छठी अलामत उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि फत्वा सादिर कर देने में जल्दी न करे। मसअला बताने में बहुत एहतियात करे, हत्तल-वुसअ (जहां तक हो सके) अगर कोई दूसरा अहल हो तो उस के हवाले कर दे। अबू-हफ़्स नीशापूरी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि आलिम …
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