सवाल – क्या एक शख़्स के लिए जाईज़ है के वह अपने सदक़ए फ़ित्र की रक़म दो या दो से ज़्यादह ग़रीबों में तक़सीम करे?
जवाब – दो या दो से ज़्यादह ग़रीबों में सदक़ए फ़ित्र की रक़म तक़सीम करना जाईज़ है.
अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.
(وجاز دفع كل شخص فطرته إلى) مسكين أو (مساكين على) ما عليه الأكثر… فكان هو (المذهب) كتفريق الزكاة (الدر المختار مع رد المحتار ٢/٣٦٧)