इद्दत में बैठी हुई औरत से निकाह
दीने-इस्लाम में इद्दत में बैठी हुई औरत से इद्दत के दौरान निकाह करना हराम है।
(१) अगर निकाह करने वाले ने उस औरत से निकाह कर लिया, जब कि उस को मालूम था कि अब तक उस औरत की इद्दत पूरी नहीं हुई है तो वो फौरन उस से अलग हो जाए (चाहे वो इस औरत से हमबिस्तर हुआ हो या न हुआ हो) और वो उस औरत की इद्दत के मुकम्मल होने का इन्तिज़ार करे।
इद्दत की मुद्दत उस वक़्त से गिनी जायेगी जिस वक़्त उसके पहले शौहर ने उस को तलाक दी थी। नये सिरे से इद्दत शुरू करना उसके ज़िम्मे लाज़िम और अनिवार्य नहीं होगा।
इद्दत के खत्म होने के बाद अगर वह शख़्स (जिसने इद्दत के दौरान उस से निकाह किया था) उस से निकाह करना चाहे तो निकाह कर सकता है।
(२) अगर निकाह करने वाले को मालूम नहीं था कि वो इद्दत में थी और उसने निकाह के बाद हमबिस्तरी भी कर ली तो वह फौरन उस से अलग हो जाए और वो औरत नये सिरे से शुरू करे। (यानी जब से उस का दूसरा शौहर उस से अलग हुआ है उस वक़्त से उस की इद्दत की मुद्दत शुमार की जायेगी।)
इद्दत के खत्म होने के बाद अगर वह शख़्स (जिसने इद्दत के दौरान उस से निकाह किया था) उस से निकाह करना चाहे तो कर सकता है।
(३) अगर निकाह करने वाले ने इद्दत के दौरान उस से हमबिस्तरी न की हो, तो वो फौरन उस से अलग हो जाए और वो उस औरत की इद्दत के मुकम्मल होने का इन्तिज़ार करे।
इद्दत की मुद्दत उस वक़्त से शुमार की जायेगी जिस वक़्त से उस के पहले शौहर ने उस को तलाक दी थी। नये सिरे से इद्दत शुरू करना उस के ज़िम्मे लाज़िम और अनिवार्य नहीं होगा।
इद्दत के खत्म होने के बाद अगर वह शख़्स (जिस ने इद्दत के दौरान उस से निकाह किया था) उस से निकाह करना चाहे तो कर सकता है।