حدثني مغيث بن سمي قال: كان للزبير بن العوام رضي الله عنه، ألف مملوك يؤدي إليه الخراج فلا يدخل بيته من خراجهم شيئا (السنن الكبرى، الرقم: 15787)
मुग़ीस बिन सुमय रहिमहुल्लाह कहते हैं:
हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू के एक हज़ार गुलाम थे, जो कमाते थे और अपनी कमाई हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू को देते थे। उनकी कमाई का एक भी दिरहम हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू के घर नहीं जाता था। (यानी वे अपने गुलामों की पूरी कमाई अल्लाह की राह में खर्च कर देते थे।)
हजरत ज़ुबैर की सखावत
हिशाम बिन ‘उरवा रहिमहुल्लाह बयान करते हैं कि सात सहाबा-ए-किराम रद़िय अल्लाहु अन्हुम ने अपनी वफ़ात के बाद अपनी तरका का हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू को वसी मुकर्रर (नियुक्त) किया था।
उन सहाबा-ए-किराम रद़िय अल्लाहु अन्हुम में हज़रत उस्मान रद़िय अल्लाहु अन्हू, हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रद़िय अल्लाहु अन्हू, हज़रत मिक़दाद रद़िय अल्लाहु अन्हू और हज़रत अब्दुल्ला बिन मस्ऊद रद़िय अल्लाहु अन्हू थे।
इन सहाबा की वफ़ात के बाद, हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू उनके नाबालिग बच्चों के माल की हिफाज़त करते थे और उन पर अपनी निजी संपत्ति से खर्च करते थे।
(तरका= मूर्दे का छोड़ा हुआ माल और सामान, मुरदे की जायदाद)
(वसी= जिस को वसीयत की गई हो, वसीयत पर अमल करने वाला, जिस को कोई काम या मन्सब दिया गया हो)