दस गुना षवाब

عن عبد الله بن أبي طلحة عن أبيه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم جاء ذات يوم والبشرى في وجهه فقلنا: إنا لنرى البشرى في وجهك فقال: إنه أتاني جبريل عليه السلام فقال: يا محمد، إن ربك يقول: أما يرضيك أنه لا يصلي عليك أحد إلا صليت عليه عشرا، ولا يسلم عليك أحد، إلا سلمت عليه عشرا (سنن النسائى، الرقم: ۱۲۸۳)

हज़रत अबू तल्हा (रज़ि.) से रिवायत है के एक दिन रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) हमारे सामने इस हाल में तशरीफ़ लाए के आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का चेहरए अनवर ख़ूशी से चमक रहा थी. आष (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने (फ़रहत व सुरूर की वजह बयान करते हुए) इरशाद फ़रमाया के हज़रत जिब्रईल (अल.) मेरे पास आए और फ़रमायाए ए मुहमंद(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) क्या में एसी बात बयान न करूं, जिस से आप को बेइन्तिहा ख़ूशी हो. (अल्लाह तआला आप से फ़रमा रहे हैं के) जो भी आप पर एक मर्तबा दुरूद भेजता है में उस पर दस दुरूद(रहमतें) भेजता हुं और जो भी आप पर एक मर्तबा सलाम भेजता है में उस पर दस सलाम भेजता हुं.

दुरूद के साथ सलाम पढ़ना

अबू सुलयमान हिरानी (रह.) केहते हैं के में ने एक मर्तबा हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सपने में ज़ियारत(दर्शन) की हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः अबू सुलयमान जब तु हदीष में मेरा नाम लेता है और उस पर दुरूद भी पढ़ता है तो फिर “वसल्लम” क्युं नही कहा करता, यह चार हुरूफ़ हें और हर हुरूफ़ पर दस नेकियां मिलती हैं तो चालीस नेकियां छोड़ देता है.(फ़ज़ाईलो दुरूद, पेज नंब-१६३)

يَا رَبِّ صَلِّ وَ سَلِّم  دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

 Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=5585

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