दुवा की सुन्नतें और आदाब – २

दुआ की फजी़लतें

(१) मोमीन का हथियार

हज़रत अली रदि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हज़रत रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि दुआ मोमीन का हथियार, दीन का सुतून और आसमानों और जमीन का नूर है।

(२) इबादत का मग़्ज़

हज़रत अनस रदि अल्लाहु अन्हु से रिवायत किया गया है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि दुआ इबादत का मग़्ज़ है।

(३) दुआ से अल्लाह त’आला की रज़ा का हुसूल

हज़रत आयशा रदि अल्लाहु अन्हा रिवायत करती हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि बेशक अल्लाह त’आला उन लोगों से मोहब्बत फ़रमाते हैं, जो हमेशा उनसे दुआ करते हैं।

तिरमिजी़ शरीफ़ में हज़रत अबू हुरैरा रदि अल्लाहु अन्हु से नक़ल किया गया कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जो शख्स अल्लाह त’आला से दुआ नहीं करता है, अल्लाह त’आला उस से नाराज़ होते हैं।

(४) दुआ हाल और मुस्तकबिल दोनों में फायदामंद है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदि अल्लाहु ‘अन्हुमा से रिवायत है कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि दुआ हाल और मुस्तकबिल दोनों में फायदामंद है; इसलिए ए अल्लाह के बन्दो! तुम दुआ पर काईम रहो। ( यानी दुआ करते रहो)

(५) दुआ करने वाला फ़ायदे से ख़ाली नहीं रहता

हज़रत अबू सईद खुदरी रदि अल्लाहु ‘अन्हु से रिवायत है कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: जो भी मुसलमान ऐसी दुआ करे, जिस में कोई गुनाह की बात या रिश्तेदार से ताल्लुक तोड़ने की बात न हो (यानी वह किसी हराम चीज के लिए दुआ नहीं कर रहा है), तो अल्लाह त’आला उसे तीन चीजों में से एक चीज़ ज़रूर ‘अता फ़रमाते हैं: या तो उसको वही चीज (इस दुनिया में) दे देते हैं जिसकी उसने दुआ की थी या उसके लिए उसकी दुआ का सवाब आखिरत में ज़ख़ीरा कर देते हैं या उससे किसी मुसीबत को टाल देते हैं। सहाबा ए किराम रदि अल्लाहु ‘अन्हुम ने कहा: फिर तो हम कसरत से दुआ करेंगे, तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: अल्लाह त’आला हर चीज़ से बढ़ कर है। ( यानी अल्लाह त’आला की ताकत और खजा़ने तुम्हारे सवाल से ज्यादा हैं)।

(६) रोज़ी में बरकत और दुश्मनों से हिफाज़त

हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदि अल्लाहु ‘अन्हु से रिवायत है कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: क्या में तुम्हें वो चीज़ न बताऊं, जो तुम्हारी दुश्मनों से हिफाज़त करे और तुम्हारे लिए रिज़्क़ और रोज़ी की ज्यादती का सामान बने? (फिर नबी सल्लल्लाहु ‘अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया) रात दिन अल्लाह त’आला से दुआ मांगते रहो; क्योंकि दुआ मोमिन का हथियार है।

(७) अपने भाई के लिए दुआ करने से फ़रिश्ते की दुआ मिलना

हज़रत अबू दर्दा रदि अल्लाहु ‘अन्हु से रिवायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाया करते थे कि वह दुआ जो मुसलमान शख्स अपने भाई के लिए उसकी गैरमौजूदगी में करता है, वह क़बूल होती है। उसके सर के पास एक फ़रिश्ते को मुकर्रर कर दिया गया है। जब भी वह अपने भाई के लिए भलाई की दुआ करता है, तो वह तै किया हुआ फ़रिश्ता आमीन कहता है और वह उसके लिए दुआ करते हुए कहता है: अल्लाह त’आला तुम्हें उस के मिस्ल (तुल्य, तरह) अता कर दे जो तुमने अपने भाई के लिए मांगा है।

(८) ईमान वालो के लिए दुआ करने की फजीलत

हज़रत अबू दर्दा रदि अल्लाहु ‘अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुए सुना कि जो भी शख्स रोज़ाना पच्चीस या सत्ताइस मर्तबा अल्लाह त’आला से मुसलमान मर्द और औरत के लिए मगफिरत की दुआ करता है वह मुस्तजाबुद्दा’वात लोगों में से होगा ( यानी वह उन लोगों में से होगा जिनकी दुआ कबूल की जाती हैं) और वो अल्लाह त’आला के उन नेक बन्दों में होगा, जिनके नेक अमलों की वजह से अल्लाह त’आला दुनिया वालों को रिज़्क ‘अता फ़रमाते हैं।

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