हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ७

उमरह और हज्ज का तरीक़ा

सामान्य तौर पर लोग हज्जे तमत्तुअ अदा करते हैं (यअनी हज्ज के महीनों में उमरह अदा करते हैं फिर एहराम खोल देते हैं और जब हज्ज के दिन आते हैं तो दूसरा एहराम बांघ कर हज्ज अदा करते हैं) इसलिए ज़ैल में हज्जे तमत्तुअ अदा करने का तरीक़ा तफ़सील से बयान किया जा रहा हैः

एहराम

एहराम उस हालत का नाम है जिस में इन्सान के लिए कुछ चीज़ों से बचना ज़रूरी है (जैसै ख़ुश्बू लगाना, बाल काटना, सिले हुए कपड़े पेहनना मर्दों के लिए वग़ैरह) इन्सान इन एहराम के ममनुआत से परहेज़ करना ज़रूरी है, यहां तक के वह हज्ज तथा उमरह के अफ़आल मुकम्मल कर ले और एहराम की हालत से निकल जाए.

जिस शख़्स को उमरह अदा करने का इरादा हो उस को चाहिए के वह मीक़ात से गुज़रने से पेहले एहराम में दाख़िल हो जाए. लिहाज़ा अगर कोई हवाई जहाज़ से सफ़र कर रहा हो. तो उस को चाहिए के वह हवाई जहाज़ में बैठने से पेहले एहराम बांध ले तथा हवाई जहाज़ के अन्दर एहराम बांध ले, जिस वक़्त हवाई जहाज़ में मीक़ात के क़रीब आने का एलान हो.

मर्द का एहराम

मर्दों के एहराम में दो कपड़े होते हैं, एक कपड़े से जिस्म का ऊपर वाला हिस्सा ढ़ांपा जाता है और दूसरे कपड़े को लुंगी की तरह बांधा जाता है, ताकि जिस्म का निचला हिस्सा छुप जाए. एहराम की हालत में यह ज़रूरी है के क़दम का वह हिस्सा जहां तस्मा बांधा जाता है, खुला रहै (यअनी क़दम के ऊपर वाला हिस्सा जहां हड्डी उभरी हुई होती है) नीज़ क़दम के उस ऊपर वाले हिस्से से ऊपर का हिस्सा टख़नों समैत भी खुला रेहना ज़रूरी है.

औरत का एहराम

औरतों के लिए सिले हुए कपड़े जो पूरे बदन को ढ़ांप ले पेहनना जाईज़ है. नीज़ उन के लिए एसे जूतो का पेहनना भी जाईज़ है जिस से पूरा क़दम छुप जाए. अलबत्ता औरतें एहराम की हालत में चेहरे पर एसा कपड़ा न ड़ालें जो चेहरे को लगे, लेकिन औरतों को अजनबि मर्दों के सामने चेहरा खोल कर बे पर्दा होना मना है. इस लिए उन को चाहिए के टोपी वाला निक़ाब पेहनें जिस का कपड़ा चेहरे सामने मुअल्लक़ हो और चेहरे को न लगे.


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