हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“शैतान का यह बहोत बड़ा घोका और फ़रेब है के वह भविष्य में बड़े काम की उम्मीद बंघा कर उस छोटे ख़ैर के काम से रोक देता है जो फ़िलहाल मुमकिन होता है. वह चाहता है के बंदा उस वक़्त जो ख़ैर कर सकता है किसी हीला से उस को उस से हटा दे, और इस दाव में वह अकषर सफ़ल हो जाता है. फिर भविष्य में आदमी जिस बड़े काम की उम्मीद बांधता है बसा अवक़ात उस का वक़्त ही नहीं आता. बड़े कामों की उम्मीदें अकषर ज़ायेअ ही होती है. और उस के बरख़िलाफ़ जो ख़ैर फ़िलहाल मुमकिन हो, अगर चे वह छोटे से छोटा ही हो, उस में लगना अकषर बड़े काम तक पहोंचने का सबब और ज़रीया बन जाता है. इसलिए अक़लमंदी यह है के जो ख़ैर जिस वक़्त जितना मुयस्सर हो सके उस पर तो उसी वक़्त अमल कर लिया जाए और फ़ुरसत से फ़ौरी फ़ायदा उठा लिया जाए.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं- १३५)
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