एहराम बांधने से पेहले दो रकअत नफ़ल नमाज़ अदा करना जब आप एहराम की चादर पेहन लें, तो एहराम की निय्यत बांधने से पेहले दो रकअत नफ़ल नमाज़ अदा करें, बशर्त यह के मकरूह वक़्त न हो. बेहतर यह है के आप पेहली रकअत में सुरए काफ़िरून और दूसरी रकअत …
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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ७
उमरह और हज्ज का तरीक़ा सामान्य तौर पर लोग हज्जे तमत्तुअ अदा करते हैं (यअनी हज्ज के महीनों में उमरह अदा करते हैं फिर एहराम खोल देते हैं और जब हज्ज के दिन आते हैं तो दूसरा एहराम बांघ कर हज्ज अदा करते हैं) इसलिए ज़ैल में हज्जे तमत्तुअ अदा …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ६
हज्ज की तीन क़िस्में हज्ज की तीन क़िस्में हैंः (१) हज्ज इफ़राद (२) हज्ज तमत्तुअ (३) हज्ज क़िरान हज्जे इफ़राद हज्जे इफ़राद यह है के इन्सान हज्ज का एहराम बांध कर सिर्फ़ हज्ज करे और हज्ज के महीनों में हज्ज से पेहले उमरह न करे. [१] हज्जे तमत्तुअ हज्जे तमत्तुअ …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ५
मक्का मुकर्रमह के सुननो आदाब (१) मक्का मुकर्रमह में क़याम के दौरान हर वक़्त इस मुबारक जगह की अज़मत और हुरमत का ख़्याल रखें और यह बात ज़हन में रखें के तमाम अंबिया (अलै.), सहाबए किराम (रज़ि.), ताबिईने इज़ाम और अवलियाए किराम (रह.) बकषरत इस मुबराक जगह (मक्का मुकर्रमह) तशरीफ़ …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ४
हज्ज और उमरह अदा करने वालों के लिए हिदायात (१) जब अल्लाह तआला किसी सआदत मंद शख़्स को हज्ज अदा करने का मौक़ा नसीब फ़रमाए, तो उस को इस महान ज़िम्मेदाी को अदा करने में ताख़ीर नही करनी चाहिए. किसी भी सूरत में बिला ज़रूरत उस को नहीं टालना चाहिए. …
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