Monthly Archives: May 2022

हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ३

फ़रीज़ए हज्ज से ग़फ़लत बरतने पर वईद जिस तरह फ़रीज़ए हज्ज अदा करने वालों के लिए बे पनाह अजरो षवाब का वादा है, इसी तरह इसतिताअत (ताक़त) के बावजूद फ़रीज़ए हज्ज से ग़फ़लत बरतने वालों  के लिए बड़ी सख़्त वईदें वारिद हुई हैं. नीचे में कुछ वइदें नकल की जाती …

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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – २

हज्ज और उमरे के फ़ज़ाईल अहादीषे मुबारका में सहीह तरीक़े से हज्ज और उमरा अदा करने वाले के लिए बहोत सी फ़ज़ीलतें वारिद हुई हैं और उस के लिए बहोत से वादे के किए गए हैं. ज़ैल में कुछ फ़ज़ीलतें बयान की जाती हैं, जो अहादीषे मुबारका में वारिद हुई …

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तरावीह की नमाज़ की जगह क़ज़ा नमाज़ें पढ़ना

सवाल – अगर किसी केज़िम्मे बहोत क़ज़ा नमाज़ें हैं, क्या रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ के बदले क़ज़ा नमाज़ें पढ़ सकता है?

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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – १

हज्ज और उमरह हदीष शरीफ़ में नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दीने इस्लाम को एक एसे ख़ैमे से तश्बीह दी है, जिस की बुनियाद पांच सुतूनों पर क़ाईम है. इन सुतूनों में से मरकज़ी और सब से अहम सुतून “शहादत” है और दूसरे सुतून नमाज़, ज़कात, रोज़ा और हज्ज …

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सुरए माऊन

क्या आप ने उस शख़्स को देखा है जो रोज़े जज़ा को झुटलाता है (१) तो वह वह शख़्स है जो यतीम को घक्के देता है (२) और मोहताज को खाना देने की तरग़ीब नहीं देता (३) फिर बड़ी ख़राबी है उन नमाज़ियों के लिए (४)...

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अख़लाक़ और निस्बत

शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दूसरी बात यह है के निस्बत अलग है और अख़लाक़ अलग हैं. निस्बत ख़ास तअल्लुक़ मअल्लाह है जितना बढ़ावोगे बढ़ेगा घटावोगे घटेगा और एक है अख़लाक़. अख़लाक़ का तअल्लुक़ हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सीरते तय्यिबा से है …

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क़ज़ा की निय्यत से शव्वाल के छ रोज़े रखना

सवाल – में शव्वाल के छ नफ़ल रोज़े क़ज़ा की निय्यत से रखना चाहता हुं, अगर में उन छ नफ़ल रोज़ों को क़ज़ा की निय्यत से रखुं, तो क्या मुझे शव्वाल के उन छ नफ़ल रोज़ों का मख़सूस षवाब (जो हदीष शरीफ़ में वारिद है) मिलेगा?

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अच्छे कर्म करने के अवसर का लाभ

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “शैतान का यह बहोत बड़ा घोका और फ़रेब है के वह भविष्य में बड़े काम की उम्मीद बंघा कर उस छोटे ख़ैर के काम से रोक देता है जो फ़िलहाल मुमकिन होता है. वह चाहता है के बंदा उस वक़्त …

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शव्वाल के रोज़े की फ़ज़ीलत

सवाल – शव्वाल के छ रोज़े की फ़ज़ीलत वाली हदीष की क्या हैषियत है? क्या यह हदीष अमल के क़ाबिल है या नहीं? तथा हदीष के अलफ़ाज़ क्या हैं. बराए महेरबानी बता दिजीए.

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