रूकूअ और क़ौमा (१) सुरए फ़ातिहा और सूरत पढ़ने के बाद तकबीर कहें और हाथ उठाए बग़ैर रूकुअ में जायें. नोटः जब मुसल्ली नमाज़ की एक हयअत (हालत) से दूसरी हयअत (हालत) की तरफ़ जावे, तो वह तकबीर पढ़ेगी. इस तकबीर को तकबीरे इन्तेक़ालिया केहते हैं. तकबीरे इन्तेक़ालिया का हुकम …
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शाबान की पंदरहवीं शब की फ़ज़ीलत
सवाल – में ने एक अरब शैख़ से सुना के शबे बराअत की फ़ज़ीलत के सिलसिले में जितनी भी अहादीष वारिद हुई वह सब ज़ईफ़ है, लेकिन उन में से कोई हदीष सहीह नहीं है. लिहाज़ा इस शब और उस के अगले दिन को महत्तवता देने की ज़रूरत नहीं. क्या …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (चोबीसवां प्रकरण)
जिस तरीक़े से अंबिया (अलै.) और सहाबए किराम (रज़ि.) ने मख़लूक़ की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश की, अल्लाह तआला हमें मख़लूक़ की ख़ैर ख़्वाही की फ़िकर अता फ़रमाई और उन की ज़रूरतों को पूरा करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाई. आमीन....
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ११
जब हाथों को उठाए, तो इस बात का अच्छी तरह ख़्याल रखें के हथेलियां का क़िब्ला रूख़ हों और ऊंगलियां अपनी प्राकृतिक हालत पर हों, न तो फैली हुई हों और न मिली हुई हों...
और पढ़ो »इत्तेबाए सुन्नत का प्रबंध – २
हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही (रह.) और उन की इत्तेबाए सुन्नत का प्रबंध हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही (रह.) महान दीन के आलिम, जलील मुहद्दिष, बहोत बड़े फ़क़ीह और अपने ज़माने के वलीए कामिल थे. उन का सिलसिलए नसब वंशावली मशहूर सहाबी हज़रत अबु अय्यूब अन्सारी (रज़ि.) तक पहोंचता था. …
और पढ़ो »हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम की मोहब्बत अपनी ज़ात से भी ज़्यादा
उस ज़ात की क़सम जिस के क़ब्ज़े में मेरी जान है (तुम्हारा इमान उस वक़्त तक मुकम्मल नहीं होगा) जब तक के में तुम्हारे नज़दीक तुम्हारी ज़ात से भी ज़्यादा महबूब न हो जावुं. हज़रत उमर (रज़ि.) ने फ़रमायाः बेशक अल्लाह की क़सम अब आप से मुझ अपनी ज़ात से भी ज़्यादा मोहब्बत है...
और पढ़ो »सुरए क़ुरैश की तफ़सीर
क़ुरैश की इज़्ज़त तथा महानता का ज़ाहिरी सबब यह है के उन के अन्दर कुछ उच्च अख़लाक़ तथा अवसाफ़ थे. जैसे अमानत दारी, शुकर गुज़ारी, लोगों की रिआयत, उन के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा व्यव्हार) और बे बस लाचार लोगों और मज़लूमों की मदद करना वग़ैरह. इस प्रकार के उच्च अख़लाक़ तथा अवसाफ़ क़ुरैश की सरीश्त और फ़ितरत में दाख़िल थे. यही वजह है के अल्लाह तआला ने उन्हें अपने घर काबा शरीफ़ की ख़िदमत का शरफ़ अता फ़रमाया...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (तेईसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم वालिदैन के महान अधिकार अल्लाह सुब्हानहु वतआला की अता करदा बड़ी नेअमतों में से वालिदैन की नेअमत है. वालिदैन की नेअमत इतनी अज़िमुश्शान नेअमत है के उस नेअमत का कोई बदल नही है और यह नेअमत एसी है के इन्सान को अपने जिवन में एक ही …
और पढ़ो »सालिहीन की इत्तेबाअ
प्यारो ! आदमी अपने आप से नहीं बढ़ता अल्लाह जल्ल शानुहु जैसे बढ़ावे वही बढ़ता है अपने आप को ख़ूब गिरावो, अपने समकालिन (मुआसिरीन) में से हर एक को अपने से बड़ा समझो...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – १०
नमाज़ से पेहले (१) नमाज़ के लिए मुनासिब कपड़े पेहनने का विशेष प्रबंध किया जाए. औरत को चाहिए के वह एसा लिबास पेहने, जो उस के पूरे बदन और बाल को छूपा ले. यह अदब के ख़िलाफ़ है के औरत एसा तंग और चुस्त लिबास पेहने जिस से उस के …
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