शेख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़करिय्या साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “लोग अपने पूर्वजो से, ख़ानदान से और इसी तरह बहोत सी चीज़ों से अपनी शराफ़त तथा बड़ाई ज़ाहिर किया करते हैं, उम्मत के लिए गर्व का ज़रीआ कलामुल्लाह शरीफ़ है के उस के पढ़ने से उस के …
और पढ़ो »Monthly Archives: December 2020
मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-५)
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस व्यक्ति ने जुम्आ के दिन लोगों की गरदनें फांदी, उस ने (अपने लिए) जहन्नम में जाने का पुल बना लिया.”...
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ ग़ुर्बत दूर करने का ज़रीआ
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के मुझे किसी आदमी के माल से इतना नफ़ा नहीं हुवा जितना मुझे हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) के माल से नफ़ा हुवा...
और पढ़ो »इस्लाम में फ़र्ज़ और नफ़ल का स्थान
“फ़राईज़ का स्थान नवाफ़िल से बहोत उच्चतर है बलकि समझना चाहिए के नवाफ़िल से मक़सूद ही फ़राईज़ की तकमील या उन की कोताहियों की तलाफ़ी होती है इसलिए के फ़राईज़ असल हैं...
और पढ़ो »मुहब्बत का बग़ीचा (दूसरा प्रकरण)
यक़ीनन करूणता व मुहब्बत का यह निराला जौहर हमारे आक़ा सरकारे दो आलम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के तमाम अख़लाक़े आलिया(उच्च संस्कार) और अवसाफ़े हमीदा(नीराली सभ्यता) के अंदर थे और आप के यही मुबारक किरदार(व्यव्हार) को मखलूक़े इलाही दीन-रात मुशाहदा करते(देखते) थे. जो बहोस से लोगों के इस्लाम लाने का कारण बना.۔۔
और पढ़ो »जनाज़े की नमाज़ की इमामत का सब से ज़्यादह हक़दार कौन है?
इस्लामी मुल्क में जनाज़े की नमाज़ की इमामत के लिए सब से मुक़द्दम मुस्लिम हाकिम है. शरीअत ने मुस्लिम हाकिम को जनाज़े की नमाज़ पढ़ाने का हक़ दिया है.
और पढ़ो »हदिया देना सुन्नत है
p style="text-align: center;">“एक मौलवी साहब के सुवाल के जवाब में फ़रमाया के हदिया देना सुन्नत है जब सुन्नत है तो उस में बरकत कैसे न होगी न होने के क्या मअना۔۔۔
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ३
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र (रज़ि.) फ़रमाते हैं के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के दुनिया मालो मताअ और लज़्ज़त के योग्य चीज़ों से भरी हुई है और इन तमाम चीज़ों में सब से बेहतरीन दौलत “नेक बीवी” है...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-४)
(३) मस्जिद में किसी से लड़ाई और झगड़ा न करें, इसलिए के यह मस्जिद की बेहुरमती है...
और पढ़ो »इमाम का चार तकबीरों से अधिक तकबीर केहना
अगर इमाम जनाज़े की नमाज़ में चार से अधिक तकबीर कहें, तो मुक़तदीयों को अधिक तकबीर में उन की इक़्तिदा(अनूसरता) नहीं करनी चाहिए, बलकि उन को ख़ामोश रेहना चाहिए और जब इमाम फेर कर नमाज़ संपूर्ण करे तो वह भी सलाम फेर कर नमाज़ संपूर्ण करेंगे. अलबत्ता अगर मुक़तदीयों को …
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