Monthly Archives: November 2020

निकाह की सुन्नतें और आदाब – २

निकाह का मुख्य उद्देश्य यह हे के मियां-बीवी पाकीज़ा ज़िंदगी गुज़ारें और एक दूसरे की सहायता करें अल्लाह तआला के हुक़ूक़(अधिकार) और हुक़ूक़े ज़वजिय्यत(वैवाहिक अधिकार) पूरा करने में...

और पढ़ो »

जनाज़े की नमाज को दोहराना

जब एक मर्तबा जनाज़े की नमाज़ अदा की जाए, तो दोबारा जनाजे की नमाज़ अदा करना जाईज़ नहीं है. मगार यह के अगर मय्यित का वली हाज़िर नहीं था और जनाज़े की नमाज़ उस की इजाज़त के बग़ैर अदा की गई हो, तो वली के लिए जनाज़े की नमाज़ का दोहराना दुरूस्त है...

और पढ़ो »

हिकमत की बात

“एक साहब ने बड़ी हिकमत की बात कही सोने के पानी से लिखने के क़ाबिल है वह यह के अगर बच्चा(बालक) किसी चीज़ को मांगे तो या तो उस की दरख़्वासत को शुरू ही में पूरी कर दे और यदी अगर पेहली बार में इनकार(मना) कर दिया तो फिर चाहे बच्चा(बालक) कितनी ही ज़िद करे कदापी उस की ज़िद पूरी न करे वरना आईन्दा उस को यही आदत पड़ जाएगी”...

और पढ़ो »

मुहब्बत का बग़ीचा

आज भी अगर मुसलमान अपने अख़लाक़ तथा आदतों और अपनी ज़िंदगी को रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के शिक्षणों तथा हिदायात(बताई हुई बातों) पर अमल कर लें, तो आंखों ने जो मन्ज़र सहाबए किराम के ज़माने में देखा था, इस दौर में भी वो मन्ज़र नज़र आएगा...

और पढ़ो »

मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-२)

हज़रत अबू क़तादा (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जब तुम में से कोई मस्जिद में दाख़िल हो, तो उसे चाहिए के बैठने से पेहले दो रकात नमाज़ अदा करे.”...

और पढ़ो »

सवारी में बैठ कर जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म

एक वक़्त में अनेक मुरदों की जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म

अगर एक वक़्त में बहोत सारे जनाज़े आ जाऐं, तो हर मय्यित की अलग अलग जनाज़े की नमाज़ अदा करना बेहतर है, लेकिन तमाम मुरदों की एक साथ एक जनाज़े की नमाज़ अदा करना भी जाईज़ है...

और पढ़ो »

दुरूद शरीफ़ रिज़्क़ में बरकत का ज़रीआ

हज़रत सहल बिन सअद (रज़ि) फ़रमाते हैं के एक मर्तबा एक सहाबी नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में हाज़िर हुवे और आप से ग़रीबी तथा धन के अभाव की शिकायत. तो नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने उन से फ़रमाया के...

और पढ़ो »

वालिदैन के इन्तिक़ाल के बाद उनकी आझाकारिता का तरीक़ा

“जिस किसी ने अपने माता-पिता की ज़िंदगी में उन की सेवा तथा आझा का पालन न किया हो बाद में उन के इन्तिक़ाल के बाद उस की तलाफ़ी (प्रायश्र्वित) की शकल भी हदीष से षाबित है. वह यह के...

और पढ़ो »

मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुकम

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मस्जिद के अंदर जनाज़े की नमाज़ अदा की, उस को कुछ भी षवाब नहीं मिलेगा.”...

और पढ़ो »