अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण-७

लोगों की इस्लाह के वक्त रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अंदाज हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रदि अल्लाहु ‘अन्हुमा का एक बूढ़े शख्स को वुज़ू का सही तरीका सिखाना एक बार मदीना मुनव्वरा में एक बूढ़ा शख्स आया। नमाज़ के वक्त जब वो वुज़ू करने लगा, तो हज़रत हसन …

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लोगों को नसीहत करते वक्त उनको शर्मिंदा करने से बचना

जो शख्स ऐसे लोगों को सलाह देता है जो दीन से दूर हैं और उनके पास दीन की सही समझ नहीं है, तो उसके लिए ज़रूरी है कि वह उनके साथ नरमी से बात करे। नरमी से बात करने के साथ साथ उसको चाहिए कि वो किसी भी तरीके से …

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लोगों की इस्लाह के वक्त रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अंदाज

अम्र बिल मारूफ और नही ‘अनिल मुन्कर ( नेक कामों का हुकम देना और बुरे कामों से रोकना) दीन का एक अहम फ़रीज़ा (कर्तव्य) है; लेकिन इन्सान के लिए जरूरी है कि वह जिस की इस्लाह करना चाहता है उसके बारे में उसको इल्म हो, नीज़ उस को यह भी …

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण ४

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर का फ़रीज़ा किस की ज़िम्मेदारी है? अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर दीन का एक अहम फ़रीज़ा है. यह फ़रीज़ा उम्मत के हर फ़र्द की ज़िम्मे पर है, अलबत्ता हर फ़र्द इस फ़रीज़े को अपने इल्म और सहनशिलता के अनुसार अन्जाम देगा. …

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण ३

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर करने वालों की महान फ़ज़ीलत और बुलंद मर्तबा  अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर (अच्छे काम का हुकम देना और बुरे काम से रोकना) का फ़रीज़ा दीने इस्लाम में अत्यंत अहम दरजा रखता है. इस ज़िम्मेदारी को इतनी महत्तवता देने की वजह …

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण २

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर करने वालों की महान फ़ज़ीलत और बुलंद मर्तबा  दुनिया में हमारा मुशाहदा है के कोई भी मज़हब तथा दीन सिर्फ़ उसी सूरत में बाक़ी रेह सकता है और फैल सकता है, जब उन के लोगों में से कोई जमाअत हो जो उस मज़हब …

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण-१

इन्शा अल्लाह आईन्दा क़िस्तों में हम दीन के इस अहम विभाग (यअनी अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर) को क़ाईम करने की महत्तवता को बयान करेंगे. और साथ साथ हम उस से संबंघित मसाईल को भी बयान करेंगे. इसी तरह हम सहाबए किराम (रज़ि.) और अस्लाफ़ के उन वाक़ियात को ज़िकर करेंगे. जिन से हमें मालूम होगा के उन्होंने कैसै अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की यह बड़ी ज़िम्मेदारी अपने जिवन में अन्जाम दी है...

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