मुहब्बत का बग़ीचा

मोहब्बत का बग़ीचा (बाईसवां प्रकरण)‎

अहादीषे मुबारका से अच्छी तरह स्पष्ट हो गया के इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार के मुतअल्लिक़ बहोत ज़्यादा महत्तवता दी गई हैं, लिहाज़ा हमें चाहिए के उन के तमाम अधिकार को अदा करने की भरपूर कोशिश करें...

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मोहब्बत का बग़ीचा (एकिसवां प्रकरण)‎

ए बिशर ! तुम ने हमारा नाम ज़मीन से उठाया और उस में ख़ुश्बू लगाई, बेशक हम तुम्हारा नाम दुनिया और आख़िरत में रोशन करेंगे. इस अमल की वजह से अल्लाह तआला ने मुझे यह स्थान अता फरमाया है...

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मोहब्बत का बग़ीचा (बीसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم उम्मते मुस्लिमा की इस्लाह की फ़िकर हज़रत उमर (रज़ि.) कि ख़िलाफ़त के ज़माने में एक शख़्स मुल्के शाम से हज़रत उमर (रज़ि.) की मुलाक़ात के लिए मदीना मुनव्वरा आता था. यह शामी शख़्स मदीना मुनव्वरा में कुछ वक़्त क़याम करता था और हज़रत उमर (रज़ि.) की …

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मोहब्बत का बग़ीचा (उन्नीसवां प्रकरण)‎

अल्लाह सुब्हानहु वतआला ने इन्सान को बेशुमार नेअमतों से नवाज़ा है. कुछ नेअमतें शारिरिक हैं और कुछ नेअमतें रूहानी हैं. कभी एक नेअमत एसी होती है के वह बेशुमार नेअमतों को शामिल होती है. मिषाल के तौर पर आंख एक नेअमत है, मगर...

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मोहब्बत का बग़ीचा (अठारहवां प्रकरण)‎

सहाबए किराम (रज़ि.) दीनी और दुन्यवी दोनों एतेबार से बेहद कामयाब थे और उन की कामयाबी तथा कामरानी का राज़ यह था के उन के दिलों में दुन्यवी मालो मताअ की मोहब्बत नहीं थी और वह हर समय तमाम ऊमूर में अल्लाह तआला की इताअत तथा फ़रमां बरदारी करते थे...

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मोहब्बत का बग़ीचा (सतरहवां प्रकरण)‎

जो व्यक्ति अल्लाह तआला की विशेष रहमत का तालिब है उसे चाहिए के वह पांच वक़्त की नमाज़ें जमाअत के साथ पाबंदी के साथ मस्जिद में अदा करे, तमाम गुनाहों से बचना और मख़लुक के साथ शफ़क़त तथा हमदरदी के साथ पेश आए और उन के अधिकार अदा करे...

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मोहब्बत का बग़ीचा (सोलहवां प्रकरण)‎

अल्लाह तआला ने दुनिया को सब से बेहतरीन शकल में पैदा किया है और उस का निज़ाम इतना मुसतहकम(मज़बूत) बनाया है के दुनिया का हर चीज़ मुकम्मल व्यवस्थित अंदाज़ मां अल्लाह तआला की इच्छा के अनुसार चल रही है...

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मोहब्बत का बग़ीचा (पंदरहवां प्रकरण)‎

अल्लाह तआला हम सब को अपनी ज़िन्दगी दुरूस्त करने और ज़िन्दगी के तमाम ऊमूर में नबिये करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के तरीक़े पर चलने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये और हम सब को अच्छे ख़ातमे की दौलत से नवाज़े. आमीन या रब्बल आलमीन...

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मोहब्बत का बग़ीचा (चौदहवां प्रकरण)‎

जब इन्सान शरीअत के मुताबिक़ जिवन गुज़ारता है, तो उस को हक़ीक़ी ख़ुशी और मसर्रत हासिल होती है, अगर चे उस के पास मालो दौलत ज़्यादा न हो और अगर वह शरीअत के मुताबिक़ ज़िन्दगी न गुज़ारे, तो उस को हक़ीक़ी ख़ुशी हरगिज़ हासिल नहीं होगी, अगर चे उस के पास बे पनाह मालो दौलत हो...

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मोहब्बत का बग़ीचा (तेरहवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم ख़ैरो बरकत की चाबी रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के ज़माने में एक दफ़ा क़बीलए बनु अशअर का एक प्रतिनिधिमंडल यमन से हिजरत कर के मदीना मुनव्वरा पहुंचा. मदीना मुनव्वरा पहुंचने के बाद उस प्रतिनिधिमंडल का तोशा ख़तम हो गया, तो उन्होंने एक आदमी को नबीए …

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