फज़ाइले सदकात

फज़ाइले-सदकात – १८

सातवीं फ़स्ल किस्सा =२= हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाह अन्हु हज़रत इमाम हसन रज़ि की खिदमत में एक शख़्स हाज़िर हुए और अपनी हाजत पेश करके कुछ मदद चाही और सवाल किया। आपने फ़रमाया: तेरे सवाल की वजह से जो मुझ पर हक कायम हो गया है, वह मेरी निगाह में …

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फज़ाइले-सदकात – १७

सातवीं फ़स्ल किस्सा =१= हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु की पूरी ज़िन्दगी के वाकिअता इस कसरत से इस चीज़ की मिसालें हैं कि उनका एहाता भी दुशवार है:- ग़ज़व-ए-तबूक के वक़्त जब हुज़ूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने चंदे की तह़रीक फरमाई और हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक …

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फज़ाइले-सदकात – १६

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात बारहवीं अलामत: बारहवीं अलामत बिदआत (बिदअत) से बहुत शिद्दत और एहतिमाम से बचना है, किसी काम पर आदमियों की कसरत का जमा हो जाना कोई मोतबर चीज़ नहीं। बल्कि असल इत्तिबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का है और यह देखना है कि सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम का …

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फज़ाइले-सदकात – १५

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात दसवीं अलामत: दसवीं अलामत यह है कि उसका ज़्यादा एहतिमाम उन मसाइल से हो जो आमाल से ताल्लुक रखते हों, जायज़ नाजायज़ से ताल्लुक रखते हों, फुलां अमल करना ज़रूरी है। इस चीज़ से फुलां अमल ज़ाया (बर्बाद) हो जाता है। (मसलन फ़ुलां चीज़ से नमाज़ …

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फज़ाइले-सदकात – १४

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात नवीं अलामत: नवीं अलामत यह है कि उसकी हर हरकत व सुकून से अल्लाह जल्ल शानुहू का ख़ौफ़ टपकता हो। उसकी अज़मत व जलाल और हैबत का असर उस शख़्स की हर अदा से ज़ाहिर होता हो, उसके लिबास से, उसकी आदात से, उसके बोलने से, …

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फज़ाइले-सदकात – १३

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात आठवीं अलामत: आठवीं अलामत यह है कि उसका यकीन और ईमान अल्लाह तआला शानुहू के साथ बढ़ा हुआ हो और इसका बहुत ज़्यादा एहतिमाम उसको हो। यकीन ही असल रासुल-माल है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि यकीन ही पूरा ईमान है। हुजूर सल्लल्लाहु …

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फज़ाइले-सदकात – १२

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात सातवीं अलामत सातवीं अलामत उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि उसको बातिनी इल्म यानी सुलूक का एहतिमाम बहुत ज़्यादा हो। अपनी इस्लाहे-बातिन और इस्लाहे-कल्ब में बहुत ज्यादा कोशिश करने वाला हो कि यह उलूमे-ज़ाहिरिया में भी तरक्की का ज़रिया है। (इस्लाहे-बातिन= बिगड़ी हुई मन की अंदरूनी हालत …

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फज़ाइले-सदकात – ११

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात छठी अलामत: छठी अलामत उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि फत्वा सादिर कर देने में जल्दी न करे। मसअला बताने में बहुत एहतियात करे, हत्तल-वुसअ (जहां तक हो सके) अगर कोई दूसरा अहल हो तो उस के हवाले कर दे। अबू-हफ़्स नीशापूरी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि आलिम …

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फज़ाइले-सदकात – १०

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात पांचवीं अलामत: उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि सलातीन और हुक्काम से दूर रहें, (बिला ज़रूरत के) उनके पास हरगिज़ न जाएं, बल्कि वो ख़ुद भी आएं, तो मुलाकात कम रखें। इसलिए कि उनके साथ मेल-जोल, उनकी खुशनूदी और रिज़ा-जोई में तकल्लुफ बरतने से खाली न होगा। …

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फज़ाइले-सदकात – ९

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात चौथी अलामत: चौथी अलामत आख़िरत के उलमा की यह है कि खाने पीने की और लिबास की उम्दगियों और बेहतराईयों की तरफ मुतवज्जह न हो, बल्कि इन चीज़ों में दरमियानी रफ़्तार इख़्तियार करे और बुजुर्गों के तर्ज़ को इख़्तियार करे। इन चीज़ों में जितना कमी की …

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