फज़ाइले सदकात

फज़ाइले-सदकात – २७

हब्शी गुलाम और सखावत हज़रत अब्दुल्लाह बिन-जाफ़र रद़ियल्लाहु ‘अन्हुमा एक मर्तबा मदीना-मुनव्वरह के एक बाग़ पर गुज़रे, उस बाग में हब्शी गुलाम बाग़ का रखवाली था, वह रोटी खा रहा था और एक कुत्ता उसके सामने बैठा हुआ था। जब वह एक लुक़्मा बना कर अपने मुंह में रखता तो …

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फज़ाइले-सदकात – २६

ईसार का अजीब वाकिआ वाक़िदी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि मेरे दो दोस्त थे, एक हाशमी और एक गैर हाशमी, हम तीनों में ऐसे गहरे ताल्लुक़ात थे कि एक जान, तीन कालिब थे। मेरे ऊपर सख़्त तंगी थी, ईद का दिन आ गया, बीवी ने कहा कि हम तो हर हाल …

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फज़ाइले-सदकात – २५

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रद़ियल्लाह अन्हुमा की सखावत अबान बिन-उस्मान रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि एक शख़्स ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रद़ियल्लाहु अन्हुमा को परेशान और ज़लील करने के लिए यह हरकत की कि कुरैश के सरदारों के पास जाकर यह कहा कि इब्ने-अब्बास (रद़ियल्लाहु अन्हुमा) ने कल सुबह आपकी …

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फज़ाइले-सदकात – २४

हज़रत आइशा रद़ियल्लाहु अन्हा की सखावत हज़रत मुन्कदिर रह़िमहुल्लाह एक मर्तबा हज़रत आइशा रद़ियल्लाहु अन्हा की खिदमत में हाज़िर हुए और अपनी सख़्त हाजत का इज़हार किया, उन्होंने फरमाया कि मेरे पास इस वक़्त बिल्कुल कुछ नहीं है, अगर मेरे पास दस हज़ार भी होते तो सब के सब तुम्हें …

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फज़ाइले-सदकात – २३

हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रद़ियल्लाहु अन्हु की सखावत एक शख़्स ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रद़ियल्लाहु अन्हु की ख़िदमत में हाज़िर होकर दो शे’र पढ़े, जिनका मतलब यह है कि: एहसान और हुस्ने-सुलूक उस वक़्त एहसान है जबकि वह उसके अहल और काबिल लोगों पर किया जाये। नालायकों पर एहसान …

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फज़ाइले-सदकात – २१

अब्दुल्लाह बिन आमिर बिन कुरेज़ रज़ियल्लाहु अन्हु हज़रत उस्मान रजि. के चचाज़ाद भाई, एक मर्तबा (ग़ालिबन रात का वक़्त होगा) मस्जिद से बाहर आये,अपने मकान तन्हा जा रहे थे। रास्ते में एक नौजवान लड़का नज़र पड़ा, वह उनके साथ हो लिया। उन्होंने फरमाया कि तुम्हें कुछ कहना है? उसने अर्ज़ …

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फज़ाइले-सदकात – २०

हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. की सख़ावत अबुल हसन मदाइनी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. हज के लिऐ तशरीफ़ ले जा रहे थे, रास्ते में उनके सामान के ऊँट उनसे …

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फज़ाइले-सदकात – १८

सातवीं फ़स्ल किस्सा =२= हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाह अन्हु हज़रत इमाम हसन रज़ि की खिदमत में एक शख़्स हाज़िर हुए और अपनी हाजत पेश करके कुछ मदद चाही और सवाल किया। आपने फ़रमाया: तेरे सवाल की वजह से जो मुझ पर हक कायम हो गया है, वह मेरी निगाह में …

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फज़ाइले-सदकात – १७

सातवीं फ़स्ल किस्सा =१= हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु की पूरी ज़िन्दगी के वाकिअता इस कसरत से इस चीज़ की मिसालें हैं कि उनका एहाता भी दुशवार है:- ग़ज़व-ए-तबूक के वक़्त जब हुज़ूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने चंदे की तह़रीक फरमाई और हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक …

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फज़ाइले-सदकात – १६

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात बारहवीं अलामत: बारहवीं अलामत बिदआत (बिदअत) से बहुत शिद्दत और एहतिमाम से बचना है, किसी काम पर आदमियों की कसरत का जमा हो जाना कोई मोतबर चीज़ नहीं। बल्कि असल इत्तिबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का है और यह देखना है कि सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम का …

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