हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि बसरा के चंद कारी हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि. की ख़िदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि हमारा एक पड़ोसी है जो बहुत कसरत से रोज़े रखने वाला है, बहुत ज़्यादा तहज्जुद पढ़ने वाला है, उस की इबादत को देख कर हम में से …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २३
अल्लाह के ख़ौफ़ के मुतफर्रिक अह़्वाल कुर्आन-शरीफ़ की आयात और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की अह़ादीस और बुज़ुर्गों के वाक़िआत में अल्लाह जल्ल शानुहू से डरने से मुतअल्लिक जितना कुछ ज़िक्र किया गया है, उसका इह़ाता तो दुश्वार है लेकिन मुख़्तसर तौर पर इतना समझ लेना चाहिए कि दीन के …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २२
हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रद़िय अल्लाहु अन्हु का अपने बाप को इन्कार हजरत ज़ैद बिन हारिसा रद़िय अल्लाहु अन्हु ज़माना-ए-जाहिलिय्यत में अपनी वालिदा (मां) के साथ ननिहाल जा रहे थे। बनू-क़ैस ने क़ाफ़िला को लूटा, जिस में ज़ैद रद़िय अल्लाहु अन्हु भी थे। उन को मक्का के बाज़ार में लाकर …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २१
हज़रत हंज़ला रद़िय अल्लाहु अन्हु को निफ़ाक़ का डर हजरत हंजला रद़िय अल्लाहु अन्हु कहते हैं कि एक मर्तबा हम लोग हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की मज्लिस में थे। हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने व’अज़ (बयान,नसीहत) फ़रमाया, जिससे क़ुलूब (दिल) नर्म हो गए और आंखों से आंसू बहने लगे और …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल-३
सुल्हे हुदैबिया में अबू जुंदल रज़ि० और अबूबसीर रज़ि० का क़िस्सा सन् ६ हि० में हुज़ूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ‘उमरा के इरादे से मक्का तशरीफ ले जा रहे थे। कुफ्फारे मक्का को इस की खबर हुई और वो इस खबर को अपनी ज़िल्लत समझै, इस लिए मुज़ाह़मत की …
और पढ़ो »फज़ाइले आमाल-१
दीन की खातिर सख़्तियों का बर्दाश्त करना और तकालीफ और मशक्कत का झेलना हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और सहाबा किराम रजि० ने दीन के फैलाने में जिस कदर तक्लीफें और मशक्कतें बर्दाश्त की हैं, उन का बर्दाश्त करना तो दरकिनार, उसका इरादा करना भी हम जैसे नालायकों से …
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