तालीम

फज़ाइले-आमाल – १३

हज़रत अबूबक्र रद़िय अल्लाहु अन्हू पर अल्लाह का डर हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रद़िय अल्लाहु अन्हू जो ब-इज्मा-ए-अहले सुन्नत (तमाम सुन्नत वाले जिस पर एक राय है) अम्ब्यिा अलैहिमुस्सलाम के अलावा तमाम दुनिया के आदमियों से अफ़ज़ल हैं और उनका जन्नती होना यक़ीनी है कि खुद हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम ने …

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फज़ाइले-आमाल – १२

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम का तमाम रात रोते रहना नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम एक मर्तबा तमाम रात रोते रहे और सुबह तक नमाज में यह आयत तिलावत फर्माते रहे: إِن تُعَذِّبْهُمْ فَإِنَّهُمْ عِبَادُكَ ۖ وَإِن تَغْفِرْ لَهُمْ فَإِنَّكَ أَنتَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ ‎﴿١١٨﴾ ‘ए अल्लाह ! अगर आप उनको सज़ा दें, जब भी आप …

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फज़ाइले-आमाल – ११

अंधेरे में हज़रत अनस रद़िय अल्लाहु अन्हू का फ़ेल नद़्र बिन अब्दुल्लाह रद़िय अल्लाहु अन्हू कहते हैं कि हजरत अनस रद़िय अल्लाहु अन्हू की जिन्दगी में एक मर्तबा दिन में अंधेरा छा गया। मैं हजरत अनस रद़िय अल्लाहु अन्हू की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज किया कि हुजूर सल्लल्लाहु …

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फज़ाइले-आमाल – १०

दूसरा बाब: अल्लाह जल्ल जलालुहू व ‘अम्म नवालुहू का ख़ौफ़ और डर दीन के साथ इस जांफ़िशानी के (जान छिड़कने के) बावजूद, जिसके क़िस्से अभी गुज़रे और दीन के लिए अपनी जान व माल, आबरू सब कुछ फ़ना कर देने के बाद जिसका नमूना अभी आप देख चुके हैं, अल्लाह …

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फज़ाइले-आमाल – ९

हज़रत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हू का क़िस्सा हज़रत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हू जिनके पाक नाम पर आज मुसलमानों को फख्र है। और जिनके जोशे-ईमानी से आज तेरह सौ वर्ष बाद तक काफ़िरों के दिल में ख़ौफ़ है, इस्लाम लाने से क़ब्ल मुसलमानों के मुक़ाबले और तकलीफ़ पहुंचाने में भी मुमताज़ …

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फज़ाइले-आमाल – ८

हज़रत सुहैब रद़िय अल्लाहु अन्हु का इस्लाम हजरत सुहैब रद़िय अल्लाहु अन्हु भी हजरत अम्मार रद़िय अल्लाहु अन्हु ही के साथ मुसलमान हुए।नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हजरत अरक़म रद़िय अल्लाहु अन्हु के मकान पर तशरीफ़ फ़रमा थे कि ये दोनों हज़रात अलाह़िदा अलाह़िदा हाज़िर-ए-खिदमत हुए और मकान के दरवाज़े पर …

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फज़ाइले-आमाल – ७

हज़रत ‘अम्मार रद़िय अल्लाहु अन्हु और उनके वालिदैन का ज़िक्र हजरत अम्मार रद़िय अल्लाहु अन्हु और उनके मां-बाप को भी सख्त से सख्त तक्लीफ़ें पहुंचाई गईं। मक्का की सख्त गर्म और रेतीली ज़मीन में उनको अज़ाब दिया जाता और हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का उस तरफ़ गुजर होता तो …

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फज़ाइले-सदकात – ५

अपने आमाल को हकीर समझना सदका देने के बारे में एक अदब यह है कि अपने सदके को ह़कीर समझे, उसको बड़ी चीज़ समझने से ‘उज्ब (खुद पसंदी) पैदा होने का अंदेशा है, जो बड़ी हलाकत की चीज़ है और नेक आमाल को बर्बाद करने वाली है। हक तआला शानुहू …

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फज़ाइले-आमाल – ६

हज़रत खब्बाब बिन अल-अरत्त रद़ियल्लाहु ‘अन्हु की तकलीफ़ें हज़रत खब्बाब बिन अल-अरत्त रद़ियल्लाहु ‘अन्हु भी उन्हीं मुबारक हस्तियों में हैं, जिन्होंने इम्तिहान के लिए अपने आप को पेश किया था और अल्लाह के रास्ते में सख्त से सख्त तक्लीफ़ें बर्दाश्त की। शुरू ही में पांच-छः आदमियों के बाद मुसलमान हो …

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फज़ाइले-आमाल – ५

हज़रत अबूज़र ग़िफ़ारी का इस्लाम हजरत अबू ज़र गिफ़ारी रद़ियल्लाहु ‘अन्हु मशहूर सहाबी हैं, जो बाद में बड़े जाहिदों और बड़े उलेमा में से हुए। हज़रत अली कर्रमल्लाहु वज्हहू का इर्शाद है कि अबूजर (रद़ियल्लाहु ‘अन्हु) ऐसे इल्म को हासिल किए हुए हैं, जिससे लोग आजिज़ हैं, मगर उन्होंने इसको …

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