तीसरा बाब सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम अज्मईन के ज़ुह्द्द और फ़क़र के बयान में इस बारे में खुद नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपना मामूल और वाक़िआत, जो इस अम्र पर दलालत करते हैं कि यह चीज हुज़र सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की खुद इख्तियार फ़रमायी हुई और पसन्द की हुई …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २३
अल्लाह के ख़ौफ़ के मुतफर्रिक अह़्वाल कुर्आन-शरीफ़ की आयात और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की अह़ादीस और बुज़ुर्गों के वाक़िआत में अल्लाह जल्ल शानुहू से डरने से मुतअल्लिक जितना कुछ ज़िक्र किया गया है, उसका इह़ाता तो दुश्वार है लेकिन मुख़्तसर तौर पर इतना समझ लेना चाहिए कि दीन के …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २२
हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रद़िय अल्लाहु अन्हु का अपने बाप को इन्कार हजरत ज़ैद बिन हारिसा रद़िय अल्लाहु अन्हु ज़माना-ए-जाहिलिय्यत में अपनी वालिदा (मां) के साथ ननिहाल जा रहे थे। बनू-क़ैस ने क़ाफ़िला को लूटा, जिस में ज़ैद रद़िय अल्लाहु अन्हु भी थे। उन को मक्का के बाज़ार में लाकर …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २१
हज़रत हंज़ला रद़िय अल्लाहु अन्हु को निफ़ाक़ का डर हजरत हंजला रद़िय अल्लाहु अन्हु कहते हैं कि एक मर्तबा हम लोग हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की मज्लिस में थे। हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने व’अज़ (बयान,नसीहत) फ़रमाया, जिससे क़ुलूब (दिल) नर्म हो गए और आंखों से आंसू बहने लगे और …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २०
सहाबा रद़ियल्लाहु अन्हुम के हंसने पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की तंबीह और क़ब्र की याद नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम एक मर्तबा नमाज़ के लिए तशरीफ़ लाए, तो एक जमाअत को देखा कि वह खिलखिला कर हंस रही थी और हंसी की वजह से दांत खिल रहे थे। हुजूर सल्लल्लाहु …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १९
तबूक के सफ़र में क़ौमें समूद की बस्ती पर गुज़र गज़्व-ए-तबूक मशहूर गज़्वह है और नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का आखिरी गज़्वह है। (गज़्वह=गज़्वह उस लड़ाई को कहते हैं, जिसमें हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम खुद शरीक हुए हों) हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को इत्तिला (ख़बर) मिली कि रूम का बादशाह …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १८
हज़रत इब्ने अब्बास रद़ियल्लाहु अन्हुमा की नसीहत वहब बिन मुनब्बह रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रद़ियल्लाहु अन्हुमा की ज़ाहिरी बीनाई (आंखो की रौशनी) जाने के बाद, मैं उनको ले जा रहा था। वह मस्जिदे ह़राम में तशरीफ़ ले गए। वहां पहुंचकर एक मज्मे’ से कुछ झगड़े की …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १७
हज़रत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हू की हालत आप रद़िय अल्लाहु अन्हु के गुलाम हजरत अस्लम रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि मैं एक मर्तबा हजरत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हु के साथ ह़र्रा की तरफ़ जा रहा था। (ह़र्रा= मदीना के करीब एक जगह का नाम है।) एक जगह आग जलती हुई जंगल …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १५
मुसलमानों की हब्शा की हिजरत और शिबे-अबी-तालिब में कैद होना मुसलमानों को और उनके सरदार फ़ख्रे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को जब कुफ़्फ़ार से तकालीफ़ पहुंचती ही रही और आए दिन उनमें बजाए कमी के इजाफ़ा ही होता रहा तो हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने सहाबा रद़िय अल्लाहु …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १४
हज़रत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हू की हालत हजरत उमर रद़िय अल्लाहु अन्हू बसा औकात (कभी-कभी) एक तिन्का हाथ में लेते और फ़रमाते: काश, मैं यह तिन्का होता. कभी फ़रमाते: काश, मुझे मेरी माँ ने जना ही न होता। एक मर्तबा किसी काम में मश्गुल थे, एक शख्स आया और कहने …
और पढ़ो »