रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मेरे सहाबा को गाली दी, उस पर अल्लाह तआला, फ़रिश्तों और तमाम लोगों की लअनत हो. अल्लाह तआला के नज़दीक न उस की फ़र्ज़ इबादत मक़बूल होती है और न ही नफ़ल इबादत.” (अद दुआ लित तबरानी, रक़म नं- …
और पढ़ो »मुहाजिरीन और अन्सार (रज़ि.) का उच्च मक़ाम तथा मर्तबा
अल्लाह तआला फ़रमाते हैः وَالَّذِينَ آمَنُوا وَهَاجَرُوا وَجَاهَدُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَالَّذِينَ آوَوا وَّنَصَرُوا أُولَٰئِكَ هُمُ الْمُؤْمِنُونَ حَقًّا لَّهُم مَّغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ और जो लोग इमान लाए और हिजरत की और अल्लाह के रास्ते में जिहाद किया (यअनी मुहाजिरीन) और जिन लोगों ने (यअनी मुहाजिरीन) और जिन लोगों ने (यअनी अन्सार …
और पढ़ो »सहाबए किराम (रज़ि.) उम्मत के लिए ख़ैरो भलाई का ज़रीया हैं
रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मेरे सहाबा की मिषाल मेरी उम्मत में खाने में नमक की तरह है के खाना बग़ैर नमक के अच्छा (और लज़ीज़) नहीं हो सकता.”(शर्हुस्सुन्नह, रक़म नं- ३८६३) हज़रत ज़ैद बिन दषीना (रज़ि.) की मुहब्बत हज़रत रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए जब …
और पढ़ो »पूरी उम्मत पर सहाबए किराम (रज़ि.) की फ़ज़ीलत
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के “मेरे सहाबा को गालियां न दिया करो ! क़सम है उस ज़ात की जिस के क़बज़े में मेरी जान है, अगर तुम में से कोई शख़्स उहद पहाड़ के बराबर सोना ख़र्च करे, तो …
और पढ़ो »क़ुर्आने करीम में सहाबए किराम (रज़ि.) की तारीफ़ तथा प्रशंसा
रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़बर गीरी के लिए एक अन्सारी महिला की बैचेनी उहद की लऱाई में मुसलमानों को तकलीफ़ भी बोहत पहुंची और शहीद भी बोहत हुए. मदीना तय्यीबा में यह वहशत अषर ख़बर पहुंची तो औरतें परेशान होकर हाल की स्थिति की जांच के लिए घर से निकल …
और पढ़ो »रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सख़्त वईद
मुसलमानों के लिए हज़रत सअद (रज़ि.) का पैग़ाम उहद की लड़ाई में हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दरयाफ़्त फ़रमाया के सअद बिन रबीअ (रज़ि.) का हाल मालूम नही हुवा के क्या गुज़री. एक सहाबी (रज़ि.) को तलाश के लिए भेजा वह शुहदा की जमाअत में तलाश कर रहे थे. …
और पढ़ो »सहाबए किराम (रज़ि.) का इमान सफ़लता का स्तर
अल्लाह तआला ने क़ुर्आने मजीद में सहाबए किराम (रज़ि.) की प्रशंसा की है और उन के इमान को उम्मत के लिए हिदायत और सफ़लता का स्तर क़रार दिया है. अल्लाह तआला का इरशाद हैः तो अगर वह (लोग) भी इसी तरह इमान ले आऐं जैसे तुम इमान लाए हो, तो …
और पढ़ो »अल्लाह तआला की तरफ़ से सहाबए किराम (रज़ि.) के लिए अपनी दाईमी रज़ामंदी का एलान
अल्लाह तआला ने क़ुर्आन मजीद में इरशाद फ़रमायाः अल्लाह तआला उन से (सहाबए किराम (रज़ि.) से) राज़ी हैं और वह (सहाबए किराम (रज़ि.)) उन से (अल्लाह तआला से) राज़ी हैं. (सुरए तौबा, १००) हज़रत उषमान (रज़ि.) की मुहब्बत हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर जब …
और पढ़ो »उम्मत के लिए हिदायत के सितारे
हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का इरशाद है के “मेरे सहाबा (रज़ि.) (मेरी उम्मत के लिए) सितारों की तरह हैं, तुम उन में से जिस की पैरवी करोगे, हिदायत पावोगे.”(रज़ीन कमा फ़ी मिश्कातुल मसाबीह, अर रक़म नं- ६०१८) हज़रत उमर का गहरी मोहब्बत और हज़रत रसूलुल्लाह की यादें हज़रत …
और पढ़ो »ख़ुलफ़ाए राशिदीन की विशेष फ़ज़ीलत
हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मेरी उम्मत में सब से ज़्यादा मेरी उम्मत पर रहम करने वाले अबू बकर (रज़ि.) हैं, अल्लाह का हुकम (क़ाईम करने) में सब से ज़्यादा मज़बूत उमर (रज़ि.) हैं, सब से ज़्यादा हया वाले उषमान …
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