ज़कात इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक अहम रुकन है। ज़कात सन २ हिजरी में रमज़ान के रोज़े से पेहले फर्ज़ हूई थी। कुराने-करीम में बहुत सी आयत और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की बहुत सी हदीस में ज़कात अदा करने की फ़ज़ीलत और अज़ीम सवाब बयान किया …
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए मख़सूस समय की ताईन
عن محمد بن يحيى بن حبان عن أبيه عن جده رضي الله عنه أن رجلا قال يا رسول الله صلى الله عليه وسلم أجعل…
मौत से पेहले जन्नत में ठिकाना नज़र आना
عن أبي موسى المديني رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صلى علي يوم الجمعة ألف مرة…
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की रज़ामंदी
حدّد سيدنا عمر رضي الله عنه قبل موته ستة من الصحابة الكرام رضي الله عنهم وأمرهم باختيار الخليفة من ب…
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआ
خاطب رسول الله صلى الله عليه وسلم الأزواج المطهرات مرة فقال: إن الذي يحنو عليكن بعدي لهو الصادق البا…
हर दुरूद के बदले ऐक क़ीरात के बराबर सवाब
عن علي بن أبي طالب رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال : من صلى علي صلاة كتب الله له قي…
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फज़ाइले-सदकात – २०
हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. की सख़ावत अबुल हसन मदाइनी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. हज के लिऐ तशरीफ़ ले जा रहे थे, रास्ते में उनके सामान के ऊँट उनसे …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – ५
हके-हिज़ानत – बच्चों की परवरिश का हक अलाहिदगी या तलाक की हालत में, बच्चों की परवरिश का हक मां को हासिल होगा, जब तक वो शादी न कर ले। अगर वो किसी ऐसे शख़्स से शादी कर ले जो बच्चो की गैर-महरम हो, तो वो बच्चो की परवरिश का हक …
और पढ़ो »दुआ की सुन्नतें और आदाब – ७
(१७) बेहतर यह है कि जामे’ दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम जामे’ दुआ पसंद फ़रमाते थे और गैर-जामे’ दुआ छोड़ देते थे। नीचे कुछ मसनून दुआ नकल की जा रहे हैं जो मुख़्तलिफ़ अह़ादीसे-मुबारका में वारिद हुई हैं और जामे’ हैं: …
और पढ़ो »रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के हम-ज़ुल्फ़ (साढ़ू भाई)
قال سيدنا طلحة رضي الله عنه: كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا رآني قال: (أنت) سِلْفي (عديلي) في الدنيا وسِلْفي في الآخرة (الأحاديث المختارة، الرقم: ٨٤٩) हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम मुझे देखते तो आप फ़रमाते: (तुम) दुनिया और आख़िरत में …
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