(१) मस्जिद से अपना दिल लगाईए यअनी जब आप एक नमाज़ से फ़ारिग़ हो कर मस्जिद से निकल रहे हों, तो दूसरी नमाज़ के लिए आने की निय्यत किजीए और उस का शिद्दत से इन्तेज़ार किजीए...
और पढ़ो »हज़रत जिब्रईल (अलै.) और रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की बद दुआ
जो बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा, उस को जन्नत मिलेगी, तो में ने और मजलिस के दीगर लोगों ने भी बुल…
निकाह और वलीमा की सुन्नतें और आदाब
शरीअत ने मियां-बीवी में से हर एक को अलग अलग जिम्मेदारियां दी है, शरीअत ने दोनों को अलग ज़िम्मेदारियो…
सुरतुल क़द्र की तफ़सीर
तर्जमाः- बेशक हमने क़ुर्आन को शबे क़द्र में उतारा (१) और आप को कुछ मालूम है के शबे क़द्र कैसी चीज़ ह…
दीन की तब्लीग़ में मेहनत
“लोगों को दीन की तरफ़ लाने और दीन के काम में लगाने की तदबीरें सोचा करो (जैसे दुनिया वाले अपने दुनयाव…
एसी मजलिस का अंजाम जिस में न अल्लाह का ज़िकर किया जाए और न ही दुरूद पढ़ा जाए
ऐसी मजलिस जिस में अल्लाह तआला का ज़िकर नही किया और रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर दुरूद नही…
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वास्तविक कंजूस
हज़रत हुसैन बिन अली इब्ने अबी तालिब (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “बख़ील है वह व्यक्ति जिस के सामने मेरा ज़िक्र किया जावे और वह मुझ पर दुरूद न भेजे.”...
और पढ़ो »मुहब्बत का बग़ीचा (पांचवा प्रकरण)
“दीने इस्लाम” इन्सान पर अल्लाह तबारक व तआला की तमाम नेअमतों में से सब से बड़ी नेअमत है. दीने इस्लाम की मिषाल उस हरे हरे भेर बाग़ की सी है, जिस में प्रकार प्रकार के फलदार झाड़, खुश्बूदार फूल और उपयोगी पौदे होते हैं. जब इन्सान...
और पढ़ो »सच्ची खुशी और उस की संपन्नता का रहस्य
“जिवन के लुत्फ़(मज़ा) का मदार माल पर नही बलकि तबीअत की प्रसन्नता और रूह पर है और रूहानी प्रसन्नता का मदार दीन और तअल्लुक़ मअल्लाह (अल्लाह तआला के साथ के तअल्लुक़) पर है. पस दीन के साथ दुनिया चाहे कम है मगर लुत्फ़ से भरी हुई होती है और बग़ैर दीन के ख़ुद दुनिया बे लुत्फ़(मज़ा) है.”...
और पढ़ो »तदफ़ीन से संबंधित मसाईल
(४) औरत के लिए जनाज़े के साथ क़बरस्तान जाना और तदफ़ीन में शिरकत करना ना जाईज़ है...
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