रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मेरे सहाबा की मिषाल मेरी उम्मत में खाने में नमक की तरह है के खाना बग़ैर नमक के अच्छा (और लज़ीज़) नहीं हो सकता.”(शर्हुस्सुन्नह, रक़म नं- ३८६३) हज़रत ज़ैद बिन दषीना (रज़ि.) की मुहब्बत हज़रत रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए जब …
और पढ़ो »अल्लाह त’आला की बारगाह में हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु की दुआओं की क़ुबूलियत
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए दुआ फ़रमाई:…
मौत के लिए हर एक को तैयारी करना है
शेखु-ल-ह़दीस हज़रत मौलाना मुह़म्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: मैं एक बात बहुत स…
हज़रत स’अद बिन अबी वक्कास रदि अल्लाहु ‘अन्हु को जन्नत की बशारत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: स’अद जन्नत में होंगे (वो उन लोगों में स…
सूरह इखलास की तफ़सीर
قُل هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ ﴿١﴾ اللّٰهُ الصَّمَدُ ﴿٢﴾ لَم يَلِدْ وَلَم يُوْلَد ﴿٣﴾ وَلَمْ يَكُن لَ…
आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नज़दीक आप के रिश्तेदारों में सबसे ज़्यादा मह़बूब
जब हज़रत फातिमा रदि अल्लाहु ‘अन्हा का निकाह हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु से हुआ, तो आप स…
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मोहब्बत का बग़ीचा (तीसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (रह.) की बुज़ुर्गी और सच्चाई का क़िस्सा हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (रह.) छठ्ठी सदी हीजरी के जलीलुल क़दर उलमा अने उच्च तरीन बुज़ुर्गाने दीन में से थे. अल्लाह तआला ने आप को बे पनाह मक़बूलियत अता फ़रमाई थी जिस की …
और पढ़ो »पूरी उम्मत पर सहाबए किराम (रज़ि.) की फ़ज़ीलत
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के “मेरे सहाबा को गालियां न दिया करो ! क़सम है उस ज़ात की जिस के क़बज़े में मेरी जान है, अगर तुम में से कोई शख़्स उहद पहाड़ के बराबर सोना ख़र्च करे, तो …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (उनतीसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم वालिदैन का अपनी औलाद के लिए अमली नमूना नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) अल्लाह तआला की तमाम मख़लूक़ में से सब से अफ़ज़ल और बरतर थे. अल्लाह तआला ने आप को अपना आख़री रसूल बना कर भेजा और आप को सब से बेहतरीन दीन, दीने इस्लाम …
और पढ़ो »कुफ़र तमाम रज़ीला (घटिया) अख़लाक़ की जड़ है
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “कुफ़र जड़ है तमाम अख़लाक़े रज़ीला (घटिया अख़लाक़) की और इस्लाम जड़ है तमाम अख़लाक़े हमीदा (अच्छे अख़लाक़) की, इस लिए कुफ़र के होते हुए इत्तिफ़ाक़ होना (सहमत होना) अत्यंत अजीब (ताज्जुब) है और इस्लाम के होते हुए ना …
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