“जो शख़्स मेरी क़बर के पास खड़ा हो कर मुझ पर दुरूद पढ़ता है में उस को ख़ुद सुनता हुं और जो किसी और जगह दुरूद पढ़ता है तो उस की दुनिया और आख़िरत की ज़रूरतें पूरी की जाती हैं और में क़यामत के दिन उस का गवाह और उस का सिफ़ारिशी होवुंगा”...
और पढ़ो »हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का बुलंद मक़ाम
قال سعيد بن جبير رحمه الله: كان مقام أبي بكر وعمر وعثمان وعليّ وسعد وسعيد وطلحة والزّبير وعبد الرّحم…
हज़रत उस्मान रद़ियल्लाहु अन्हु की शहादत पर हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का हुज़्न-व-ग़म
بعدما قتل البغاةُ سيدنا عثمان رضي الله عنه في المدينة المنورة، خاطب سيدنا سعيد بن زيد -وكان في الكوف…
ख़ैर तलब करना
उहद की लड़ाई में हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दरयाफ़्त फ़रमाया के सअद बिन रबीअ (रज़ि.)…
अल्लाह तआला की रज़ामंदी का हुसूल
हज़रत आंईशा (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जो आदमी…
हज़रत उम्मे-सलमह रद़ियल्लाहु अन्हा की हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी नमाज़े-जनाज़ा पढ़ाने की वसीयत
أوصت أم المؤمنين السيدة أم سلمة رضي الله عنها أن يصلي عليها سعيد بن زيد رضي الله عنه (مصنف ابن أبي ش…
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क़ुर्बानी की सुन्नतें और आदाब
(१) दीने-इस्लाम में क़ुर्बानी एक अज़ीम और मोहतम-बिश-शान इबादत है. चुनांचे क़ुर्आने-करीम में विशेष तौर पर ज़िकर किया गया है. तथा क़ुर्आने-पाक और अहादीसे-मुबारका में उस की बहोत सी फ़ज़ीलतें बयान की गई हैं। अल्लाह सुब्हानहु व तआला का इरशाद हैः لَن يَنَالَ اللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَاؤُهَا وَلَٰكِن يَنَالُهُ التَّقْوَىٰ …
और पढ़ो »रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम को दुरूद पहोंचाने वाला फ़रिश्ता
عن عمار بن ياسر رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : إن لله ملكا أعطاه أسماع الخلائق، فهو قائم على قبري إذا مت، فليس أحد يصلي علي صلاة إلا قال : يا محمد صلى عليك فلان ابن فلان...
और पढ़ो »अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण २
अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर करने वालों की महान फ़ज़ीलत और बुलंद मर्तबा दुनिया में हमारा मुशाहदा है के कोई भी मज़हब तथा दीन सिर्फ़ उसी सूरत में बाक़ी रेह सकता है और फैल सकता है, जब उन के लोगों में से कोई जमाअत हो जो उस मज़हब …
और पढ़ो »आधी रात के बाद तरावीह पढ़ने का हुकम
सवाल – क्या हम आधी रात के बाद तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं?
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