जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से दीनी और दुनयवी ज़रूरतों की तकमील
सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने हज़रत उषमान (रज़ि.) को मक्का मुकर्…
हज़रत बिलाल रद़ियल्लाहु अन्हु – इस्लाम के पहले मुअज़्ज़िन
ذكر العلامة ابن الأثير رحمه الله أن سيدنا بلالا رضي الله عنه كان أول من أذن في الإسلام. وكان يؤذّن ل…
इयादते-मरीज़ की सुन्नतें और आदाब – २
इयादते-मरीज़ के फज़ाइल सत्तर हज़ार फ़रिश्तों की दुआ का हुसूल हज़रत अली रद़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत ह…
दुरूद शरीफ़ ग़ुर्बत दूर करने का ज़रीआ
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के…
हज़रत बिलाल रद़ियल्लाहु अन्हु – हब्शियों में सबसे पहले मुसलमान
عن سيدنا أنس رضي الله عنه أنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: السباق (أقوامهم إلى الإسلام) أر…
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सज्दा-ए-तिलावत के मम्नू’ टाइम
सवाल: अगर कोई क़ुरआन मजीद की तिलावत करे और वह सज्दा की आयत पढ़े, तो वह किस वक़्त सज्दा-ए-तिलावत कर सकता है और किस वक़्त सज्दा-ए-तिलावत नहीं कर सकता है? जवाब: सज्दा-ए-तिलावत मकरूह वक़्त में करना मम्नू (मना) है। ये तीन वक़्त हैं: ज़वाल का वक़्त (जब सूरज ठीक सर …
और पढ़ो »इयादते-मरीज़ की सुन्नतें और आदाब – २
इयादते-मरीज़ के फज़ाइल सत्तर हज़ार फ़रिश्तों की दुआ का हुसूल हज़रत अली रद़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: “जो शख़्स सुब्ह को किसी बिमार आदमी की इयादत करे, उस के लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते शाम तक अल्लाह तआला से रहमत की दुआ करेंगे और …
और पढ़ो »हज – ज़िन्दगी का एक अहम सफर
फज़ाइले-आमाल – ३५
सहाबा किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम के तक़्वा के बयान में हज़रात सहाबा-ए-किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम की हर आदत, हर खसलत इस क़ाबिल है कि उसको चुना जाए और उसका इत्तिबा किया जाए और क्यों न हो कि अल्लाह जल्ल शानुहू ने अपने लाडले और महबूब रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की मुसाहबत के …
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