हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“जी चाहता है के सब मुसलमान ईस तरह राह पर आ जायें के उन की हर अदा से इस्लाम की शान ज़ाहिर हो जैसे हज़राते सहाबाए किराम (रज़ि.) को लोग देख कर इस्लाम क़बूल करते थे यह उन का नमूना बन जायें. दीनो दुन्या का कल्याण इसी में छुपा है यह वास्तविक मामला है के अगर मुसलमान अपनी इस्लाह कर लें और दीन उन में रचबस जाये (स्थापित हो जाये) तो दीन तो वह है ही, लेकिन दुन्यवी मसाईब का भी जो कुछ आजकल उस पर हुजूम है, इनशा अल्लाह चंद रोज़ में काया पलट हो जाये.” (मलफ़ूज़ाते हकीमुल उम्मत, जिल्द नं-१, पेज नं-६१)
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