पवित्र पूर्वजों के जीवन का अध्ययन सुन्नत की ओर ले जाता है

शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा फ़रमायाः  

“अपने पूर्वजों (अकाबिर) के हालात तथा वाक़िआत ख़ूब देखा करो, पढ़ा करो, सहाबा में भी मुझे देखने से हर रंग के मिले हैं, इसी तरह अपने पूर्वजों (अकाबिर) भी के उन में भी विभीन्न रंग के में ने पाए हैं. में तो केहता हुं के उन हज़रात की मिषाल गुलदस्ते की सी है, गुलदस्ते की ख़ूबी यही है के उस में हर रंग तथा बू के फूल हों.” (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं-२५)

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