हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“जिवन के लुत्फ़ (मज़ा) का मदार माल पर नही बलकि तबीअत की प्रसन्नता और रूह पर है. और रूहानी प्रसन्नता का मदार दीन और तअल्लुक़ मअल्लाह (अल्लाह तआला के साथ के तअल्लुक़) पर है. पस दीन के साथ दुनिया चाहे कम है मगर लुत्फ़ से भरी हुई होती है और बग़ैर दीन के ख़ुद दुनिया बे लुत्फ़ (मज़ा) है.” (मलफ़ूज़ाते हकीमुल उम्मत, जिल्द नं-२३, पेज नं-८८-८९)
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