दस रहमतों का हुसूल

عن أبي هريرة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: من صلى علي واحدة صلى الله عليه عشرا (صحيح مسلم، الرقم: 408)

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया, “जो शख़्स मुझ पर ऐक बार दुरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस पर दस बार दुरूद (रहमतें) भेजते हैं.

चेहरा ख़िनज़ीर (सुव्वर) जैसा हो गया

नुज़हतुल मजालिस में ऐक वाक़िआ मनक़ूल है के एक शख़्स और और उस का बेटा दोनों सफ़र कर रहे थे. रास्ते में बाप का इन्तेक़ाल हो गया और उस का सर (मुंह वग़ैरह) सुव्वर जैसा हो गया.

वह बेटा बोहोत रोया और अल्लाह जल्ल शानुहु की बारगाह में दुआ और आजिज़ी की.

इतने में उस की आंख लग गई, तो ख्वाब में देखा के कोई शख़्स कह रहा है के तेरा बाप सूद खाया करता था. इसलिए यह सूरत बदल गई।

लेकिन हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने उस के बारे में सिफ़ारिश की है. इसलिए के जब यह आप का ज़िक्र मुबारक सुनता तो दुरूद भेजा करता था. आप की सिफ़ारिश से उस को उस की अपनी सूरत पर लौटा दिया गया. (फ़ज़ाईले दुरूद, पेज नं- १७८)

يَا رَبِّ صَلِّ وَسَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

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