عن أنس بن مالك رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صلى علي في يوم الجمعة ألف مرة لم يمت حتى يرى مقعده من الجنة (أخرجه ابن شاهين بسند ضعيف كذا في القول البديع صـ 397)
हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का इरशाद है के जो शख़्स जुम्आ दिन मुझ पर ऐक हज़ार मर्तबा दुरूद भेजता है, उस को उस वक़्त तक मौत नहीं आएगी, जब तक के वह जन्नत में अपना ठिकाना न देख ले.(अल क़वलुल बदीअ)
दुरूद शरीफ़ की कषरत की वजह से नजात
ऐक शख़्स ने अबु हफ़्स काग़ज़ी (रह.) को (जो के ऐक इन्तिहाई नेक आदमी थे) उन की वफ़ात के बाद सपने में देखा, तो उन से सुवाल किया के अल्लाह तआला ने आप के साथ क्या मामाल फ़रमाया? उन्होंने जवाब दिया के अल्लाह तआला ने मुझ पर रहम फ़रमाया, मेरी मग़फ़िरत फ़रमा दी और मुझे जन्नत में दाख़िल फ़रमाया. उन से दरयाफ़्त किया गया के किस अमल कि वजह से यह मर्तबा हासिल हुवा? उन्होंने जवाब दिया के जब में अल्लाह तआला के सामने खड़ा हुवा, तो अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को हुक्म दिया के वह मेरे आमाल को शुमार करें. फ़रिश्तों ने मेरे गुनाहों को शुमार किया और रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर मेरे भेजे हुए दुरूद को शुमार किया, तो उन्होंने दुरूद की तादाद गुनाहों से ज़्यादह पाई. तो अल्लाह तआला ने उन से फ़रमाया, ऐ मेरे फ़रिश्तो ! बस इतना काफ़ी है. (अब) उस का हिसाब लो और उस को मेरी जन्नत में ले जावो.
يَا رَبِّ صَلِّ وَسَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ