
لما توفي سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه، كان سيدنا سعد بن أبي وقاص وسيدنا عبد الله بن عمر رضي الله عنهما ممن غسّله (من مجمع الزوائد، الرقم: ١٤٨٨٠ وصحيح البخاري، الرقم: ٣٩٩٠)
जब हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का इन्तिक़ाल हुआ, तो हज़रत साद बिन-अबी वक़्क़ास और हज़रत अब्दुल्ला बिन-उमर रद़ियल्लाहु अन्हुम उन लोगों में से थे, जिन्होंने हज़रत सईद बिन ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को ग़ुस्ल दिया था।
हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु के ग़ुस्ल में हज़रत साद बिन-अबी वक़्क़ास रद़ियल्लाहु अन्हु की शिरकत
जब हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का इन्तिक़ाल हुआ, तो हज़रत सा’द बिन-अबी वक़्क़ास रद़ियल्लाहु अन्हु और हज़रत अब्दुल्लाह बिन-उमर रद़ियल्लाहु अन्हुम उन लोगों में से थे, जिन्होंने हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को ग़ुस्ल दिया था।
ग़ुस्ल के बाद लोग उनके जनाज़े को ‘अक़ीक़ नाम की जगह से मदीना मुनव्वरा की तरफ़ ले गए, ताकि उन्हें मदीना-मुनव्वरा के क़ब्रिस्तान जन्नतुल-बक़ीअ़ में दफ़न किया जा सके।
जब जनाज़ा हज़रत साद रद़ियल्लाहु अन्हु के घर के पास से गुज़रा, तो हज़रत साद रद़ियल्लाहु अन्हु जल्दी से अपने घर में दाख़िल हुए, ताकि वह ग़ुस्ल करके दफ़न में शामिल हो सकें।
घर से निकलने से पहले हज़रत साद रद़ियल्लाहु अन्हु ने अपने घर वालों को मुख़ातिब करते हुए फ़रमाया कि:
“मैंने ग़ुस्ल इसलिए नहीं किया कि मैं हज़रत सईद रद़ियल्लाहु अन्हु के ग़ुस्ल में शरीक था; बल्कि मैंने तो सिर्फ़ गर्मी से ठंडक हासिल करने के लिए ग़ुस्ल किया है।”
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