सातवीं फ़स्ल
किस्सा =१=
हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु
हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु की पूरी ज़िन्दगी के वाकिअता इस कसरत से इस चीज़ की मिसालें हैं कि उनका एहाता भी दुशवार है:-
ग़ज़व-ए-तबूक के वक़्त जब हुज़ूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने चंदे की तह़रीक फरमाई और हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु का उस वक़्त जो कुछ घर में रखा था, सब कुछ जमा करके हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की ख़िदमत में पेश कर देना मशहूर वाकिआ है, और जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने दर्याफ्त फरमाया कि अबू बक्र! घर में क्या छोड़ा? तो आप रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: अल्लाह और उसका रसूल (यानी उनकी खुशनूदी का ज़ख़ीरा) घर में मौजूद है।
“हिकायाते सहाबा” में यह किस्सा मुफ़स्सल ज़िक्र किया गया है और इस नोअ के दूसरे हज़रात के मुतअद्दद वाकिआत “हिकायाते सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम” में भी लिख चुका हूँ, वहां देखा जाये तो मालूम हो कि ईसार, हमदर्दी और अल्लाह की राह में खर्च करना इन्हीं हज़रात का हिस्सा था कि इसका कुछ भी शाइबा हम लोगों को मिल जाये तो न मालूम हम इसको क्या समझें, लेकिन इन हज़रात के यहां यह रोज़मर्रा के मामूली वाकिअता थे।
बिलखुसूस हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु के मुताल्लिक इससे बढ़ कर क्या वज़ाहत हो सकती है कि खुद हक तआला शानुहु ने कुरआन पाक में तारीफ के मौके पर फ़रमायाः-
وَسَيُجَنَّبُهَا الْأَتْقَى ﴿١٧﴾ الَّذِي يُؤْتِي مَالَهُ يَتَزَكَّىٰ ﴿١٨﴾ وَمَا لِأَحَدٍ عِندَهُ مِن نِّعْمَةٍ تُجْزَىٰ ﴿١٩﴾ إِلَّا ابْتِغَاءَ وَجْهِ رَبِّهِ الْأَعْلَىٰ ﴿٢٠﴾ وَلَسَوْفَ يَرْضَىٰ ﴿٢١﴾
और उस (आग से) वह शख़्स दूर रखा जायेगा जो बड़ा परहेज़गार है, जो अपना माल इस ग़रज़ से (अल्लाह के रास्ते में) देता है कि पाक हो जाये और बजुज़ अपने आलीशान परवरदिगार की रिज़ाजोई के (कोई और उसकी गरज़ नहीं है और) किसी का उसके ज़िम्मे कोई एहसान न था कि उसका बदला उतारना मक़्सूद हो।
(इस में निहायत ही मुबालगा इख़्लास का है, क्योंकि किसी के एहसान का बदला उतारना भी मतलूब और मन्दूब है, मगर फज़ीलत में एहसान इब्तिदाई के बराबर नहीं)। (बयानुल-कुरआन)
इब्ने-जौज़ी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि इस बात पर इत्तिफ़ाक है कि यह आयते-शरीफा हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु की शान में नाज़िल हुई। हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद नकल करते हैं कि मुझे किसी के माल ने इतना नफा नहीं दिया जितना अबूबक्र के माल ने दिया। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का यह इर्शाद सुन कर हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु रोने लगे और अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह! (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) क्या मैं और मेरा माल आपके सिवा किसी और का है?
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का यह इरशाद बहुत से सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम से बहुत सी रिवायात में नकल किया गया।
सईद बिन मुसैयिब रह़िमहुल्लाह की रिवायत में इसके बाद यह भी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु के माल में इसी तरह तसरूर्फ फरमाते थे जिस तरह अपने माल में फरमाते थे।
हज़रत उर्वः रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि जब हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु मुसलमान हुए तो उनके पास चालीस हज़ार दिरम थे, जो सब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के ऊपर खर्च कर दिये (यानी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की खुशनूदी में)।
एक और हदीस में है कि इस्लाम लाने के वक़्त चालीस हज़ार दिरम थे और हिजरत के वक़्त पांच हज़ार रह गये थे। यह सारी रकम गुलामों के आज़ाद करने में (जिनको इस्लाम लाने के जुर्म में अज़ाब दिया जाता था) और इस्लाम के दूसरे कामों में ख़र्च किये गये। (तारीखुल खुलफ़ा)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु ज़ईफ़ ज़ईफ गुलामों को ख़रीद कर आज़ाद किया करते थे। उनके वालिद अबू कुहाफा ने फ़रमाया कि अगर तुम्हें गुलाम ही आज़ाद करने हैं तो क़वी क़वी गुलामों को खरीद कर आज़ाद किया करो कि वे तुम्हारी मदद भी कर सकें, वक़्त पर काम भी आ सकें। हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया कि (मैं अपने लिए आज़ाद नहीं करता) मैं तो महज़ अल्लाह तआला की खुशनूदी के लिए आज़ाद करता हूँ। (दुर्रे मंसूर)
और हक तआला शानुहू के यहां ज़ईफ, कमज़ोर की मदद का जितना अज्र है, वह क़वी की मदद से बहुत ज़्यादा है।
एक और हदीस में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि कोई शख़्स ऐसा नहीं जिसका मुझ पर एहसान हो और मैं ने उसके एहसान का बदला न दे दिया हो, मगर अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु का एहसान मेरे ज़िम्मे है (जिसका बदला मैं नहीं दे सका) हक़ तआला शानुहू ख़ुद ही कियामत के दिन उसके एहसान का बदला अता फ़रमायेंगे। मुझे किसी के माल ने इतना नफा नहीं दिया, जितना अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु के माल ने नफा दिया। (तारीखुल खुलफा)