हज़रत मौलाना अशरफ़ ‘अली थानवी रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया:
लोग आ’माल को देखते हैं; मगर देखने की चिज़ है दिल, कि उसके दिल में अल्लाह और रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मोहब्बत और ‘अज़मत (इज़्ज़त,बड़ाई) किस क़दर है।
देहाती हैं,गंवार लोग हैं; मगर उनके दिल में अल्लाह और रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मोहब्बत कूट कूट कर भरी है और ज़्यादा ज़रूरत इसी की है कि दिल में दीन की वक़’अत हो ‘अज़मत हो। (मलफ़ूज़ाते हकीमुल उम्मत. जिल्द नं-७, पेज नं-२१८)
(वक़’अत=इज़्ज़त, बड़ाई, कदर)