हज़रत रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया:
لو وضع إيمان أبي بكر على إيمان هذه الأمة (أي: لو وزن إيمانه بإيمانهم) لرجح بها (الكامل لابن عدي ٦/٤٥٧، المقاصد الحسنة، الرقم: ٩٠٨)
अगर अबू बकर के ईमान को पूरी उम्मत के ईमान के मुकाबले में तौला जाए तो उनका ईमान सारी उम्मत के ईमान से ज्यादह भारी हो जाएगा।
हजरत अबू बक्र सिद्दीक रदि अल्लाहु अन्हु की खिदमत नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम के लिए
हजरत अबू बकर सिद्दीकी रदि अल्लाहु अन्हु रसूले करीम ﷺ सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की हमराही में सफरे हिजरत की घटना बयान फरमाते हैं:
हम रात भर चलते रहे और दुसरे दिन सुबह को ठीक दोपहर का वक्त हो गया और रास्ता खाली हो गया, उस में कोई राहगीर दिखाई नहीं देता था।
मैंने इधर उधर देखा के कोई छायादार जगह मिल जाए; ताकि हम वहां आराम कर सकें, तो हमें एक बडी चट्टान नजर आई; जहाँ हम धूप से बचने के लिए पनाह ले सकें।
फिर हम चट्टान के पास (उस के छाये में आराम करने के लिए) रुक गये और मेंने अपने हाथों से जमीन को समतल किया; ताकि रसूलुल्लाह वहां लेट कर आराम कर सकें।
फिर मैंने एक चमडे की खाल फैला दी और आप से कहा के ऐ अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आप आराम फरमायें, मैं आपके आसपास की जगहों पर नजर रखूंगा।
जब रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आराम करने के लिए लेट गए, तो मैं हालत का जाइज़ा (निरीक्षण) लेने के लिए देखने गया कि क्या मैं किसी को देख सकता हूँ जो हमें ढूंढ रहा हो, तो उसी समय मुझे एक चरवाहा नजर आया, जिसके पास कुछ बकरियाँ थीं। वह चट्टान की तरफ आ रहा था ताकि वह भी छाये में आराम करे, जैसा के हम आराम कर रहे थे।
मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा मालिक कौन है? उसने मुझे मक्का मुकर्रमा के एक व्यक्ति का नाम बताया, जिस से में परिचित (जानकार) था (इस लिए कि उस समय की प्रथा(दस्तूर) थी कि जानवरों के मालिक यात्रियों(मुसाफिरों) और राहगीरों को अपने जानवरों का दूध पीने की इजाजत देते थे; इसलिए हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु अन्हु ने उस चरवाहे से दूध मांगा)।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रदि अल्लाहु अन्हु फरमाते हैं:
मैंने चरवाहे से सवाल किया कि क्या तुम्हारी बकरियों में दूध है?
उसने कहा: हाँ।
फिर मैंने कहा: क्या तुम मेरे लिए दूध निकाल सकते हो?
उसने कहा हाँ।
मैंने उससे कहा कि तुम इस बात का एहतिमाम (प्रबंध) करो के तुम पहले बकरी के थनों को धो लो और उन्हें धूल, बाल और अन्य गंदगी से साफ करो।
चरवाहे ने एक बर्तन में एक बकरी का दूध निकाला और मेरे कटोरे में डाल दिया। मैंने उस कटोरे में थोड़ा पानी मिलाया; ताकि वह गर्म दूध थोड़ा ठंडा हो जाए, फिर मैं दूध लेकर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुआ।
मैं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम को जगाना नहीं चाहता था, और आप की नींद में खलल नहीं डालना चाहता था, लेकिन जब मैं आपके पास पहुंचा, तो मैंने देखा कि आप जाग रहे थे। मैंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! दूघ पी लीजिये।
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दूध पिया, जिससे मुझे बहुत खुशी हुई । (बुखारी, मुस्लिम)
इस घटना से हजरत अबू बकर रदि अल्लाहु अन्हु की रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रति महान प्रेम नजर आता है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम को दूध का मजा चखते देख कर उनके दिल को बहुत खुशी हुई; जबकि वह खुद नहीं पी रहे थे और खुद उससे मजा नहीं ले रहे थे।
यह प्यार माँ के प्यार जैसा है कि जब माँ अपने बच्चे को खाना खाते हुए और मज़ा लेते हुए देखती है, तो वह नजारा खुद उसके दिल को खुशी देता है।