शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
तुम अपने समय की कदर करो, ( एेतेकाफ की हालत में ) बातें बिल्कुल न करो, हम सब की नीयत (मंशा) यह हो के दुनिया में जितने दिन के शोबे (सेक्टर) चल रहे हैं, अल्लाह सबको तरक्की दे.
मस्जिदों के लिए, मदरसों के लिए, मरकज़ो के लिए, जितनी दुआएं करोगे उतनी ही प्रगति होगी , उतना ही आपको सवाब मिलेगा़.
तुम्हारा सभी कामों में शामिल होना तो मुश्किल है, हां ! प्रार्थना (दुआ) के द्वारा सहभागिता (शिरकत) अवश्य हो सकती है, पवित्र पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ला वसल्लम का एरशाद है “إنما الأعمال بالنيات” एक अमल में जितनी नियत करोगे सबका सवाब मिलेगा. (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं- ११९)