सहाबए किराम (रज़ि.) की ताज़ीम का हुकम

हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का मुबारक फ़रमान हैः

“मेरे सहाबा की इज़्ज़त करो, क्युंके वह तुम में सब से बेहतर हैं फिर वह (तुम में सब से बेहतर हैं) जो उन के बाद आए (ताबिईन) फिर वह जो उन के बाद आए (तबऐ बातिईन).”

(मुस्नदे अब्दुर्रज़्ज़ाक़, रक़म नं-२१६३४)

हज़रते बिलाल(रज़ि.) का आख़री समय

हज़रते बिलाल (रज़ि.) की जब वफ़ात का समय क़रीब था  उनकी बीवी (पत्नी) केह रही थी, हाए अफ़सोस ! तुम जा रहे हो और वह (हज़रते बिलाल(रज़ि.) केह रहे थे, “कैसे मज़े की बात है, केसे लुत्फ़ की बात है कल को दोस्तों से मिलेंगे, हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से मिलेंगे. उन के साथियों से मिलेंगे.” (फ़ज़ाईले सदक़ात, भाग-२, पेज न- ४७२)

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