
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“अपने अकाबिर के अहवाल (हालात) को बहोत एहतेमाम से किताबों में देखते और पढ़ते रहा करो, हुज़ूर का ज़माना गो बहोत दूर चला गया, लेकिन यह अपने अकाबिर हुज़ूर के जिवन का नमूना हमारे सामने मौजूद है. उन हज़रात की विनम्रता (तवाज़ुअ) देखो.
प्यारो ! आदमी अपने आप से नहीं बढ़ता अल्लाह जल्ल शानुहु जैसे बढ़ावे वही बढ़ता है अपने आप को ख़ूब गिरावो, अपने समकालिन (मुआसिरीन) में से हर एक को अपने से बड़ा समझो.” (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं-१५९)
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