हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“हमारे नज़दीक इस वक़्त उम्मत की असल बीमारी दीन की तलब तथा क़दर से उन के दिलों का ख़ाली होना है. अगर दीन की फ़िकर तथा तलब उन के अन्दर पैदा हो जाए और दीन की महत्तवता का शुऊर तथा एहसास उन के अन्दर जिवीत हो जाए तो उन को इस्लामियत देखते देखते सर सब्ज़ हो जाए. हमारी इस तहरीक का असल मक़सद इस बक़्त बस दीन की तलब तथा क़दर पैदा करने की कोशिश करना है न के सिर्फ़ कलिमा और नमाज़ वग़ैरह की तसहीह और तलक़ीन.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं- ६१-६२)
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