हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“यह क़ाइदह कुल्लिया है के हर आदमी को चैन उस चीज़ के हुसूल से मिलता है, जिस की उसे रग़बत और चाहत है. मषलन एक शख़्स को अमीराना ज़िन्दगी, बेश क़ीमत खानो और कपड़ों से ही रग़बत है तो उस को इन चीज़ों के बग़ैर चैनो आराम नसीब नही हो सकता, लेकिन जिस को चटाई पर बैठना, बोरिए पर सोना, सादा लिबास और सादा ख़ाना ज़्यादा मरग़ूब हो, ज़ाहिर है के उस को इसी में ज़्यादा चैन और सुख महसूस होगा.
पस जिन लोगों को रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के इत्तिबाअ में सादा मुआशरत मरग़ूब हो जाए और उन को इसी में लज़्ज़त और चैन मिलने लगे, उन पर अल्लाह तआला का बड़ा इनाम है के उन का चैन एसी चीज़ों से वाबस्ता फ़रमा दिया जो बेहद ससती है और जिन का हुसूल हर ग़रीबो फ़क़ीर के लिए बहोत आसान है.
अगर बिलफ़र्ज़ हमारी रग़बत उन बेश क़ीमत चीज़ों में रख दी जाती जो दौलत मंदो ही को मुयस्सर आ सकती हैं तो शायद उमर भर हम बेचैन ही रेहते.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-१७)
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