Monthly Archives: August 2023

तलाक की सुन्नतैं और आदाब – ६

खुला अगर मियां बीवी के दरम्यान सुलह मुमकिन न हो और शौहर तलाक देने से इनकार करे, तो बीवी के लिए जायज़ है कि वह शौहर को कुछ माल या अपना महर दे दे और उसके बदले तलाक ले ले। अगर शौहर ने अभी तक महर अदा नहीं किया है, …

और पढ़ो »

अपनी शरीके हयात (बीवी) के साथ हिजरत करने वाला पेहला शख्स

हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम ने एरशाद फरमाया: إن عثمان لأول من هاجر إلى الله بأهله بعد لوط बेशक उसमान पेहले शख्स है जिन्होंने अपनी बीवी के साथ अल्लाह तआला के रास्ते हिजरत की नबी इब्राहीम और नबी लूत अलैहिमुस्सलाम के बाद। પત્ની સાથે સ્થળાંતર કરનાર પ્રથમ મુસ્લિમ હઝરત અનસ …

और पढ़ो »

नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलयही वसल्लम के खास सहाबी

नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलयही वसल्लम ने एरशाद फरमाया:‎ لكل نبي رفيق في الجنة، ورفيقي فيها عثمان بن عفان (سنن ابن ماجه، الرقم: 109) जन्नत में हर नबी का एक रफ़ीक़ (साथी) होगा और मेरा रफ़ीक़ (जन्नत में) उस्मान बिन ‎अफ्फान होगा। जन्नत में कुंवा खरीदना जब सहाबा ए किराम …

और पढ़ो »

अल्फ़ारुक – हक़ और बातिल के दरमियान फ़र्क करनेवाला

سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: من سمّى عمرَ الفاروقَ؟ قالت: النبي صلى الله عليه وسلم. (الطبقات الكبرى ٣/٢٠٥) एक मर्तबा हज़रत आयशा रदी अल्लाहु अन्हा से पूछा गया: हज़रत उमर रदी अल्लाहु अनहू को “अल्-फ़ारुक” का लक़ब किसने दिया? उन्होंने जवाब दिया: उनको ये लक़ब हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयही …

और पढ़ो »

नाजायज़ उमूर (कामों) पर चश्म-पोशी (किसी का गुनाह देखते हुए भी अनदेखा करना) अख्लाके नबवी से नहीं है

शेखुल-हदीस हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़कारिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: एक बात बहुत ध्यान से सुनो, चाहे उसको वसीयत समझो। आज असर के बाद की मजलिस में (उस में जो किताब सुनाई जाती है) ख़ुल्क़े हसन (अच्छे अखलाक) का बार-बार ज़िक्र आया, मुझे इस बारे में एक नसीहत करनी …

और पढ़ो »

जन्नत के अधेर उम्र वालों के सरदार

हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया: هذان سيدا كهول أهل الجنة من الأولين والآخرين إلا النبيين والمرسلين (سنن الترمذي، الرقم: ٣٦٦٤) ये दोनों सहाबा (हज़रत अबू बक्र और हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हुमा) जन्नत के तमाम अगले पिछले अधेर उम्र लोगों के सरदार होंगे (वो लोग जो इन …

और पढ़ो »

दुआ की सुन्नतें और आदाब – १

दुआ अल्लाह सुब्हानहु व ता’आला की बेशुमार नेमतों और ख़ज़ानों के हुसूल का ज़रिया है। अहादीसे मुबारका में दुआ की बहुत सी फ़ज़ीलतें वारिद हुई हैं। हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद है कि दुआ इबादत का मग़ज़ है। दूसरी हदीस शरीफ़ में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व …

और पढ़ो »