हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“बहोत से लोग यह समझते हैं के बस (दीन की बात) पहोंचा देने का नाम तबलीग़ है, यह बड़ी गलत फ़ेहमी है, तबलीग़ यह है के अपनी सलाहिय्यत (योग्यता) और इस्तेअदाद (प्रतिभा) की हदतक लोगों को दीन की बात इस तरह पहोंचाई जाये जिस तरह पहोंचाने से लोगों के मानने की उम्मीद हो. अम्बिया (अलै.) यही तबलीग़ लाये हैं.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-१२९)
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