दीनी इल्म हासिल करने का मक़सद

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा फ़रमायाः

“इल्म का सब से पेहला और अहम तक़ाज़ा यह है के आदमी अपने जीवन का एहतेसाब (हिसाब) करे, अपने फ़राईज़ और अपनी कोताहियों को समझे और उन की अदायगी की फ़िकर करने लगे, लेकिन अगर उस के बजाए वह अपने इल्म से दूसरों ही के आमाल का एहतेसाब (हिसाब) और उन की कोताहियों के शुमार का काम लेता है तो फिर इल्मी किबरो ग़ुरूर है और जो अहले इल्म के लिए बड़ा मोहलिक (नुक़सान देह) है.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-८०)


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