ग़ुसल की सुन्नतें और आदाब-२

ग़ुसल करने का मस्नून तरीक़ा

(१) ग़ुसल के शुरू में दोनों हाथों को गट्टों समेत धोना. [१]

عن عائشة زوج النبي صلى الله عليه وسلم أن النبي صلى الله عليه وسلم كان إذا اغتسل من الجنابة بدأ فغسل يديه  (صحيح البخاري، الرقم: ۲٤۸)

नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ज़वजा उम्मुल मोमिनीन हज़रत आंयशा (रज़ि.) से रिवायत है के “जब नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ग़ुसले जनाबत फ़रमाते थे, तो पेहले अपने दोनों हाथ को धोते.”

 (२) बायें हाथ से शर्मगाहों को धोना. हाथों और शर्मगाहों को धोना चाहिए, ख़्वाह उन पर गंदगी लगी हो या न लगी हो. [२]

عن ابن عباس قال قالت ميمونة وضعت للنبي صلى الله عليه وسلم ماء للغسل فغسل يديه مرتين أو ثلاثا ثم أفرغ على شماله فغسل مذاكيره (صحيح البخاري، الرقم: ۲۵۷)

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है के हज़रत मैमूना (रज़ि.) ने फ़रमाया के “में ने रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए ग़ुसल का पानी रखा. तो आप ने (उस पानी से) अपने दोनों हाथों को दो या तीन बार धोया फिर आप ने अपने बाऐं हाथ पर पानी ड़ाला और (अपने बाऐं हाथ से) अपनी शर्मगाहों को धोया.”

(३) बदन के हर उस हिस्से को धोना जहां नजासत लगी हो. [३]

(४) संपूर्ण वुज़ू करना. अलबत्ता अगर कोई एसी जगह ग़ुसल कर रहा हो, जहां ग़ुसल का पानी जमा होता हो और पानी के निकलने का कोई रास्ता न हो, तो वह पांव को बाद में धोए यअनी ग़ुसल से फ़ारिग़ हो कर, उस जगह से हट जाए फिर अपना पांव धोए.[४]

عن عائشة قالت كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا أراد أن يغتسل من الجنابة بدأ فغسل يديه قبل أن يدخلهما الإناء ثم غسل فرجه ويتوضأ وضوءه للصلاة (سنن الترمذي، الرقم: ۱٠٤)[५]

हज़रत आंयशा (रज़ि.) फ़रमाती है के “जब रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ग़ुसले जनाबत का इरादा फ़रमाते थे, तो पेहले अपने हाथों को बरतन में दाख़िल करने से पेहले धोते थे, फिर अपनी शर्मगाह धोते थे और नमाज़ वाला वुज़ु करते थे.”

عن ابن عباس قال قالت ميمونة وضعت لرسول الله صلى الله عليه وسلم ماء يغتسل به … ثم تنحى من مقامه فغسل قدميه (صحيح البخاري، الرقم: ۲٦۵)

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है के हज़रत मैमूना (रज़ि.) ने बयान किया के “में ने रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए ग़ुसल का पानी रखा…फिर (ग़ुसल के अख़ीर में) आप अपनी जगह से हटे और अपने पैरों को धोया.”


[१] (الفصل الثاني في سنن الغسل) وهي أن يغسل يديه إلى الرسغ ثلاثا ثم فرجه ويزيل النجاسة إن كانت على بدنه ثم يتوضأ وضوءه للصلاة إلا رجليه هكذا في الملتقط (الفتاوى الهندية ۱/۱٤)

[२] (و) كذا (غسل فرجه) وإن لم يكن به نجاسة كما فعله النبي صلى الله عليه وسلم ليطمئن بوصول الماء إلى الجزء الذي ينضم من فرجه حال القيام وينفرج حال الجلوس (حاشية الطحطاوي على مراقي الفلاح صـ ۱٠٤)

[३] الفصل الثاني في سنن الغسل) وهي أن يغسل يديه إلى الرسغ ثلاثا ثم فرجه ويزيل النجاسة إن كانت على بدنه ثم يتوضأ وضوءه للصلاة إلا رجليه هكذا في الملتقط (الفتاوى الهندية ۱/۱٤)

[४] (ثم يتوضأ كوضوئه للصلاة فيثلث الغسل ويمسح الرأس) في ظاهر الرواية وقيل لا يمسحها لأنه يصب عليها الماء والأول أصح لأنه صلى الله عليه وسلم توضأ قبل الاغتسال وضوءه للصلاة وهو اسم للغسل والمسح (ولكنه يؤخر غسل الرجلين إن كان يقف) حال الاغتسال (في محل يجتمع فيه الماء) لاحتياجه لغسلهما ثانيا من الغسالة (حاشية الطحطاوي على مراقي الفلاح صـ ۱٠۵)

[५] قال أبو عيسى: هذا حديث حسن صحيح

Check Also

इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २

 शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के …