ग़ुसल करने का मस्नून तरीक़ा
(१) ग़ुसल के दौरान क़िब्ला का इस्तेक़बाल न करना(क़िब्ले की तरफ़ मुंन न करना).[1]
(२) ऐसी जगह ग़ुसल करना, जहां किसी की नज़र न पड़े. बेहतर यह है के ग़ुसल के समय सतर के हिस्से को ढ़ांप लिया जाए. अलबत्ता अगर कोई एसी जगह ग़ुसल कर रहा हो, जो हर तरफ़ से बंद हो, जैसे के ग़ुसल कर रहा हो, तो सतर के हिस्से को ढ़ांपे बग़ैर भी ग़ुसल करना जाईज़ है. See 104
عن يعلى أن رسول الله صلى الله عليه وسلم رأى رجلا يغتسل بالبراز بلا إزار فصعد المنبر فحمد الله وأثنى عليه ثم قال صلى الله عليه وسلم إن الله عز وجل حيي ستير يحب الحياء والستر فإذا اغتسل أحدكم فليستتر (سنن أبي داود، الرقم: 4012)[2]
हज़रत यअला (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने एक आदमी को खुली जगह में बग़ैर तेहबंद के नहाते हुए देखा. (उस का सतर का हिस्सा खुला हुवा था) तो आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) मिम्बर पर तशरीफ़ और अल्लाह तआला की हम्दो षना बयान की फिर फ़रमाया, “बेशक अल्लाह तआला बड़े हया दार है (अल्लाह तआला अपने बंदो के साथ हया में अअला दरजे का मामला करते हैं), बड़े परदा पोश हैं (यअनी अपने बंदो की निगाहों से पोशीदा है). (वह अपने बंदो के लिए) हया और परदा पोशी (यअनी बयतुल ख़ला और ग़ुसल के वक़्त) को पसंद फ़रमाते हैं, लिहाज़ा जब तुम में से कोई ग़ुसल करे, तो छुप कर करे.”
(३) ग़ुसल के लिए बालटी का इस्तेमाल करना बेहतर है.[3]
(४) अगर कोई फ़व्वारे से ग़ुसल कर रहा हो, तो इस बात का ख़ास तौर पर ख़्याल रखे के पानी ज़ायेअ न हो. साबुन लगाने या ग़ैर ज़रूरी बाल साफ़ करने के दौरान पानी खुला न छोड़े. इस लिए के (पानी खुला छोड़ना) सरासर इसराफ़ है और यह बहोत बड़ा गुनाह है. See 104
(५) बैठ कर ग़ुसल करना अफ़ज़ल है.[4]
[1] (وههنا سنن وآداب ذكرها بعض المشايخ) يسن أن يبدأ بالنية بقلبه ويقول بلسانه نويت الغسل لرفع الجنابة أو للجنابة ثم يسمي الله تعالى عند غسل اليدين ثم يستنجي كذا في الجوهرة النيرة وأن لا يسرف في الماء ولا يقتر وأن لا يستقبل القبلة وقت الغسل وأن يدلك كل أعضائه في المرة الأولى وأن يغتسل في موضع لا يراه أحد ويستحب أن لا يتكلم بكلام قط وأن يمسح بمنديل بعد الغسل كذا في المنية (الفتاوى الهندية ۱/۱٤)
[2] سكت الحافظ عن هذا الحديث في الفصل الثاني من هداية الرواة (۱/۲۳٦) فالحديث حسن عنده
[3] حدثتني ميمونة قالت كنت أغتسل أنا ورسول الله صلى الله عليه وسلم من إناء واحد من الجنابة هذا حديث حسن صحيح (سنن الترمذي، الرقم: ٦۲)
[4] (وسننه) أي سنن الغسل كسنن الوضوء سوى الترتيب وآدابه كآدابه سوى استقبال القبلة لأنه يكون غالبا مع كشف عورة (الدر المختار ۱/۱۵٦)
(ومن آدابه) أي آداب الوضوء … (استقبال القبلة ودلك أعضائه) … (والجلوس فى مكان مرتفع) (الدر المختار ۱/۱۲۷)