रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम का मुबारक नाम सुन कर दुरूद पढ़ने का षवाब

عن أنس بن مالك قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من ذكرت عنده فليصل علي فإنه من صلى علي مرة صلي عليه عشرا (المعجم الأوسط للطبراني، الرقم: 2767، ورجاله رجال الصحيح كما في القول البديع صـ 237)

हज़रत अनस बिन मालिक रदि अल्लाहु ‘अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि “जिस व्यक्ति के सामने मेरा ज़िक्र किया जाए, उस को मुझ पर दुरूद भेजना चाहिए, इसलिये कि जो मुझ पर एक बार दुरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस पर दस बार दुरूद (रहमतें) भेजते हैं.”

हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु के दिल में नबी ए करीम सल्लल्लाहु ‘अलयहि वसल्लम की मुहब्बत

नबीए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम और हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु हिजरत के सफ़र पर रात को रवाना हुए. सफ़र के दौरान हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु कभी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलयहि वसल्लम के आगे चलते, कभी पीछे और कभी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम के दायीं तरफ़ चलते और कभी बायीं तरफ़.

जब नबीए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने बार बार हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु का यह खास अलग अंदाज देखा, तो दरयाफ़्त फ़रमाया:

ए अबु बक्र! में तुम्हें देखता हुं के कभी मेरे सामने चलते हो, कभी पीछे, कभी दाईं और कभी बाईं तरफ़ चलते हो. तुम एसा क्युं कर रहे हो?

हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु ने जवाब दियाः

जब मुझे यह डर होता है के दुश्मन आप पर पीछे से हमला कर सकता है, तो में आप के पीछे जाता हुं. जब मेरे दिल में यह ख़ौफ़ पैदा होता है के दुश्मन आगे घात में बैठा है और आप पर आगे से हमला-आवर हो सकता है, तो में आप के सामने आ जाता हुं और जब दाईं तथा बाईं जानिब से मुझे अंदेशा हो के दुश्मन आप पर हमला करे, तो में आप के दाईं तथा बाईं जानिब आ जाता हुं.

नबीए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु का जवाब सुन कर इरशाद फ़रमायाः

ए अबु बक्र! क्या तुम मेरे लिए अपनी जान क़ुर्बान करना पसंद करते हो?

हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु ‘अन्हु ने जवाब दियाः

ज़रूर, ए अल्लाह के रसूल! उस ज़ात की क़सम जिस ने आप को सच्चा दीन दे कर भेजा है. में अपनी जान को आप के लिए क़ुर्बान करने के लिए तय्यार हुं. (मुस्तदरक हाकिम, दलाईलुन नुबुव्वह)

يَا رَبِّ صَلِّ وَسَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

Source: https://ihyaauddeen.co.za/?p=16291

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