हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“आजकल यह मर्ज़(रोग) भी आम(सामान्य) हो गया है के अकषर लोग दूसरों के पीछे पड़े हुए हैं अपनी मुत़लक़ फ़िकर नहीं और में चाहता हुं के हर शख़्स अपनी फ़िकर में लगे तो बहुत जल्द सब की इस्लाह(सुधार) हो जाए और बहुत से अबष(बेकार) और फ़ुज़ूल(फ़ालतू) से नजात(मुक्ति) हो जाए.” (मलफ़ूज़ात हकीमुल उम्मत(रह.),पेज नं-३९९,जिल्द न-६)
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