रात में क़ुर्बानी करना

सवाल – क्या रात में क़ुर्बानी करना जाईज़ है?

जवाब – अगर क़ुर्बानी ऐसी जगह की जाए, जहां रोशनी का अच्छी तरह इंतेज़ाम हो और ज़बह में किसी प्रकार की ग़लती का अंदेशा (डर) न हो, तो रात में भी क़ुर्बानी जाईज़ है.

अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.

والمستحب ذبحها بالنهار دون الليل لأنه أمكن لاستيفاء العروق (الفتاوى الهندية ۵/۲۹٦)

(وكره) تنزيها (الذبح ليلا) لاحتمال الغلط (الدر المختار ٦/۳۲٠)

والمستحب ذبحها بالنهار دون الليل لأنه أمكن لاستيفاء العروق وإن ذبحها بالليل أجزأه مع الكراهة (الجوهرة النيرة ۲/۱۸٦)

(فمنها) أن المستحب أن يكون الذبح بالنهار ويكره بالليل والأصل فيه ما روي عن رسول الله صلى الله عليه وسلم أنه نهى عن الأضحى ليلا وعن الحصاد ليلا وهو كراهة تنزيه ومعنى الكراهة يحتمل أن يكون لوجوه أحدها أن الليل وقت أمن وسكون وراحة فإيصال الألم في وقت الراحة يكون أشد والثاني أنه لا يأمن من أن يخطئ فيقطع يده ولهذا كره الحصاد بالليل والثالث أن العروق المشروطة في الذبح لا تتبين في الليل فربما لا يستوفي قطعها (بدائع الصنائع ۵/٦٠)

दारूल इफ़्ता, मद्रसा तालीमुद्दीन

इसिपिंगो बीच, दरबन, दक्षिण अफ्रीका

Source: http://muftionline.co.za/node/97

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