अल्लाह त’आला की रहमत का धांप लेना

عن أنس رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: إن لله سيارة من الملائكة يطلبون حلق الذكر فإذا أتوا عليهم حفوا بهم ثم بعثوا رائدهم إلى السماء إلى رب العزة تبارك وتعالى فيقولون ربنا أتينا على عباد من عبادك يعظمون آلاءك ويتلون كتابك ويصلون على نبيك صلى الله عليه وسلم ويسئلونك لآخرتهم وديناهم فيقول تبارك وتعالى: غشوهم رحمتي فيقولون يا رب إن فيهم فلانا الخطاء إنما اغتبقهم اغتباقا فيقول تبارك وتعالى: غشوهم رحمتي فهم الجلساء لا يشقى بهم جليسهم (مسند البزار، الرقم: 6494 وسنده حسن كما في القول البديع صـ 267)

हज़रत अनस रद़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि बेशक अल्लाह त’आला के कुछ फ़रिश्ते हैं जो ज़िक्र की मजलिसों की तलाश में फ़िरते रेहते हैं और जब वह उन के पास (ज़ाकिरीन की मजलिसों में) पहुंचते हैं तो उन को धांप लेते हैं. फिर वह अपने क़ाईद (लीड़र) को अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त की बारगाह में आसमान की तरफ़ भेजते हैं. वह फ़रिश्ते अल्लाह तआला से अर्ज़ करते हैं, ऐ हमारे रब! हम आप के ऐसे बंदों के पास पहुंचे हैं जो आप की ने’अमतों की बड़ाई बयान करते हैं, आप की किताब की तिलावत करते हैं, आप के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम पर दुरूद भेजते हैं और आप से दुन्या और आख़िरत की भलाई की भीख मांगते हैं. तो अल्लाह तआला उन से फ़रमाते हैं, उन को मेरी रहमत से धांप लो. फ़रिश्ते कहते हैं, ऐ परवरदिगार! उन के दरमियान फुलां गुनहगार भी है। वह उस मजलिस में बस अख़ीर में पहुंचा है. अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाते हैं, उन सब को मेरी रहमत से धांप लो. इस लिये कि वह सब ऐसे लोग हैं कि उन का हमनशीन (साथ बैठने वाला) महरूम नहीं रह सकता हैं (मेरी रहमत से)।

कषरत से दुरूद पाक पढ़ना

अबू सुलैमान मुहमंद बिन हुसैन हिरानी (रह.) कहते हैं के हमारे पड़ोस में एक साहब थे के जिन का नाम फ़ज़ल था, बहुत कषरत से नमाज़ व रोज़े में मशग़ूल रहते थे.

उन्होंने बयान किया के में हदीष लिखा करता था, लेकिन उस में दुरूद शरीफ़ नहीं लिखता था. वह कहते हैं के में ने हुजूर अक़दस सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम को सपने में देखा. हुज़ूर सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया के जब तु मेरा नाम लिखता है या लेता है तो दुरूद शरीफ़ क्युं नहीं पढ़ता (उस के बाद उन्होंने दुरूद का एहतिमाम शुरू कर दिया) उस के कुछ दिनों बाद हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम का सपने में दर्शन किया.

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया के तेरा दुरूद मेरे पास पहुंच रहा है. जब मेरा नाम लिया करे तो सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम कहा कर. (फ़ज़ाईले दुरूद, १६२)

ख्वाब में रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) की ज़ियारत के लिए दुरूद-शरीफ़

अल्लामा सखावी (रह़िमहुल्लाह) लिखते हैं:

जो कोई ख्वाब में हज़रत मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) को देखने का इरादा रखता है, उसे निम्नलिखित दुरूद पढ़ना चाहिए:

اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ كَمَا أَمَرْتَنَا أَن نُّصَلِّيَ عَلَيه اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ كَمَا هُوَ أَهْلُه، اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ كَمَا تُحِبُّ وَتَرْضَى لَه

ऐ अल्लाह! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर दुरूद भेजिए जैसा कि तूने हमें उन पर दुरूद भेजने का हुक्म दिया है। ऐ अल्लाह! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) पर दुरूद भेजिए जैसा कि वह हक़दार हैं (यानी, जैसा कि उनके मकाम के मुताबिक हो)। ऐ अल्लाह! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) पर ऐसा दुरूद भेजिए जिस तरह आप को पसंद है और आप राज़ी हैं।

जो शख़्स इस दुरूद शरीफ़ को त़ाक अदद में (विषम संख्या में) पढ़ेगा, वह अपने ख्वाब में हज़रत मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) की ज़ियारत करेगा, और यह भी इसमें शामिल करना चाहिए:

اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى رُوحِ مُحَمَّدٍ فِي الْأَرْوَاحِ اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى جَسَدِ مُحَمَّدٍ فِي الأَجْسَادِ اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى قَبْرِ مُحَمَّدٍ فِي الْقُبُور

ऐ अल्लाह! तमाम रूहों में से मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) की रूह पर ख़ुसूसी (स्पेशल) दुरूद भेजिए। ऐ अल्लाह! तमाम जिस्मों में से मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) के जिस्म पर ख़ुसूसी दुरूद भेजिए। ऐ अल्लाह! तमाम क़ब्रों में से मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) की क़ब्र पर ख़ुसूसी दुरूद भेजिए।

يَا رَبِّ صَلِّ وَسَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

 Source: http://whatisislam.co.za/index.php/durood/item/619-enveloped-in-the-mercy-of-allah , http://ihyaauddeen.co.za/?p=5313

Check Also

दस नेकियों का हासिल होना

عن أبي هريرة قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي مرة واحدة كتب الله عز وجل له بها عشر حسنات...