मिस्वाक के फ़ज़ाईल(श्रेष्ठताऐं)
عن عائشة قالت قال رسول الله صلى الله عليه وسلم فضل الصلاة التي يستاك لها على الصلاة التي لا يستاك لها سبعين ضعفا (المستدرك للحاكم رقم ۵۱۵)[२०]
हज़रते आंईशा (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, “जो नमाज़ मिस्वाक कर के अदा कि जाए उस की फ़ज़ीलत(श्रेष्ठता) उस नमाज़ से सत्तर(७०) गुना ज़्यादह है जो मिस्वाक के बग़ैर अदा कि जाए.”
عن عائشة رضي الله عنها قالت قال رسول الله صلى الله عليه وسلم السواك مطهرة للفم مرضاة للرب (صحيح البخاري تعليقا ۱/۲۵۹)
हज़रते आंईशा (रज़ि.) नक़ल करती हैं के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम)ने फ़रमाया, “मिस्वाक मुंह की सफ़ाई और अल्लाह तआला की रज़ामंदी का ज़रिया है.”
عن أبي أيوب رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم أربع من سنن المرسلين الحياء والتعطر والسواك والنكاح (سنن الترمذي رقم ۱٠۸٠)
हज़रत अबू अय्यूब अंसारी (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, “चार चिज़े अंबियाए किराम की सुन्नतों में से हैं, १) हया(ज़िदगी के तमाम शोबों में हया इख्तियार करना), २) ख़ुश्बू उपयोग करना, ३) मिस्वाक करना, ४) निकाह करना.
عن ابن عباس قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: عليكم بالسواك فإنه مطهرة للفم مرضاة للرب مفرحة للملائكة يزيد في الحسنات وهو من السنة ويجلو البصر ويذهب الحفر ويشد اللثة ويذهب البلغم ويطيب الفم ورواه غيره وزاد فيه: ويصلح المعدة (شعب الإيمان رقم ۲۵۲۱)[२१]
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, मिस्वाक किया करो, इस लिए के यह मुंह की सफ़ाई, अल्लाह तआला की रज़ामंदी और फ़रश्तों को ख़ूश करने का ज़रिया है. यह(मिस्वाक) नेकियों में बढ़ावा करती है. इस का उपयोग सुन्नत है. यह निगाह तेज़ करती है, दांतों और मसोढ़ो की बीमारयों को दूर करती है. उस से मसोढ़े मज़बूत होते है. बलग़म दूर होता है और मुं ह साफ़ होता है.(दूसरी रिवायत में यह भी है के मिस्वाक से मेदा दुरूस्त होता है, हाज़मे की क़ुव्वत बढ़ती है.
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[२०] هذا حديث صحيح على شرط مسلم، ولم يخرجاه
قال الذهبي في التلخيص : على شرط مسلم
[२१] قال البيهقي : تفرد به الخليل بن مرة وليس بالقوي في الحديث
قال ابن الملقن في البدر المنير (۲/۲۳) : هو كما قال فقد ضعفه يحيى بن معين والنسائي وقال البخاري منكر الحديث وقال ابن حبان منكر الحديث عن المشاهير كثير الرواية عن المجاهيل وقال أبو زرعة شيخ صالح وقال أبو حاتم ليس بالقوي وقال ابن عدي ليس بمتروك
قال السيوطي رحمه الله كتصانيف البيهقي فقد التزم أن لا يخرج فيها حديثا يعلمه موضوعا . انتهى. (تدريب الراوي ۱/۲۳۷)
وقد اعتمد السيوطي وابن عراق رحمهما الله على قول البيهقي هذا. (اللآلىء المصنوعة في الأحاديث الموضوعة ۱/۱۲)
قال الشيخ محمد عوامة: والشرط الرابع: أن يكون لهذا الحديث الضعيف أصل يندرج تحته، وهو أمر ملاحظ جدا في واقع علمائنا رحمهم الله، فهم -كما نبهت إليه-يروون هذا الحديث الضعيف مع جملة أحاديث تشهد له، إما صحيحة بذاتها فتعضد هذا الضعيف، وإما ضعيفة أيضاً فتتعاضد مع بعضها، وقد لاحظتُ هذا الامر كثيرًا وأنا أستقرئ هذا الاستقراء من الكتب التي نقلت عنها، فوجدته والحمد لله متوفراً مستوفى … (حكم العمل بالحديث الضعيف صـ ۱٠٤-۱٠٦)