मुअज़्ज़िन के फ़ज़ाईल(श्रेष्ठता)
- हदीष शरीफ़ में मुअज़्ज़िन को अल्लाह तआला का सब से बेहतरीन बंदा कहा गया है.
عن ابن أبي أوفى قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: إن خيار عباد الله الذين يراعون الشمس والقمر والنجوم والأظلة لذكر الله (المستدرك للحاكم رقم ۱٦۳) [१]
हज़रत इब्ने अबी अवफ़ा(रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः “बेशक अल्लाह तआला के बेहतरीन बंदे वह हैं जो अल्लाह तआला की याद (और इबादत) के लिए सूरज, चांद, सितारे और सायों को देखते हैं और ख़्याल करते हैं.”
सूरज, चांद और सितारों वग़ैरह से समय का पता चलता है, इसलिए वह उस को देखते रेहते हैं और सूरज के तुलूअ व गुरूब के समय का ख़्याल रखते है, ताकि तमाम इबादतें सहीह समय पर अदा कर सकें, मुअज़्ज़िन को भी यह फ़ज़ीलत हासिल है.
इसलिए के वह भी समय का ख़ूब लिहाज़ करते हैं, ताकि हर नमाज़ के लिए सहीह समय पर अज़ान दें.
- सात साल तक अज़ान देने वाले को जहन्नम से आज़ादी का परवाना दिया जाता है.
عن ابن عباس أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: من أذن سبع سنين محتسبا كتبت له براءة من النار (سنن الترمذي رقم ۲٠٦)[२]
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास(रज़ि.) से रिवायत है के नबी(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, “जो सात साल तक इख़लास के साथ षवाब की उम्मीद करते हुए अज़ान दे, उस के लिए जहन्नम से आज़ादी का परवाना लिख दिया जाता है.”
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[१] قال بشر بن موسى : ولم يكن هذا الحديث عند الحميدي في مسنده هذا إسناد صحيح وعبد الجبار العطار : ثقة وقد احتج مسلم والبخاري بإبراهيم السكسكي وإذا صح هذه الاستقامة لم يضره توهين من أفسد إسناده وقال الذهبي في التلخيص: إسناده صحيح
[२] ورواه ابن ماجه والترمذي وقال حديث غريب
سكت الحافظ عن هذا الحديث في الفصل الثاني من هداية الرواة (۱/۳۱۸) ، فالحديث حسن عنده.
وعن ابن عمر رضي الله عنهما أن النبي صلى الله عليه وسلم قال من أذن اثنتي عشرة سنة وجبت له الجنة وكتب له بتأذينه في كل يوم ستون حسنة وبكل إقامة ثلاثون حسنة رواه ابن ماجه والدارقطني والحاكم وقال صحيح على شرط البخاري
قال الحافظ وهو كما قال فإن عبد الله بن صالح كاتب الليث وإن كان فيه كلام فقد روى عنه البخاري في الصحيح (الترغيب والترهيب رقم ۳۸۵)